अहमदाबाद, छह जुलाई सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के वकील ने बृहस्पतिवार को यहां एक सत्र अदालत को बताया कि जिस हलफनामे को अभियोजन पक्ष फर्जी बता रहा है, उस पर गवाहों के हस्ताक्षर हैं और पहले भी विभिन्न अदालतों में इसे सौंपा गया है।
गुजरात सरकार ने दावा किया है कि सीतलवाड़ ने 2002 में गोधरा में ट्रेन जलाने की घटना के बाद राज्य में हुए दंगों के संबंध में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए फर्जी सबूत तैयार किए।
सीतलवाड़ के वकील सोमनाथ वत्स ने अदालत से कहा कि विचाराधीन हलफनामों को ‘मनगढ़ंत साक्ष्य’ नहीं माना जा सकता क्योंकि वे गवाहों द्वारा हस्ताक्षरित थे।
वत्स ने अदालत से कहा कि अतीत में विभिन्न अदालतों में ये हलफनामे प्रस्तुत किये गये थे और यहां तक कि 2002 के गुजरात दंगों के मामलों से संबंधित इन हस्ताक्षरित हलफनामों के आधार पर अदालतों द्वारा गवाही भी दर्ज की गई थी।
सरकार ने सोमवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अंबालाल पटेल की अदालत को बताया था कि सीतलवाड़ ने 2002 के दंगा पीड़ितों के विश्वास का गला घोंटा था।
मामले में अगली सुनवाई शुक्रवार को पटेल की अदालत में होगी।
गुजरात सरकार ने राज्य में 2002 में हुए दंगों के बाद बेगुनाह लोगों को फंसाने के लिए कथित रूप से सबूत गढ़ने के मामले में सीतलवाड़ की आरोप मुक्त करने के लिए यहां की एक सत्र अदालत में दायर याचिका का चार जुलाई को विरोध किया था।
सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि सीतलवाड़ ने तत्कालीन मुख्यमंत्री (नरेन्द्र मोदी), वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्रियों सहित निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए दंगा पीड़ितों के नाम पर हलफनामे तैयार किए।
उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को सीतलवाड़ को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था और गुजरात उच्च न्यायालय के उस आदेश पर एक हफ्ते के लिए रोक लगा दी थी जिसमें नियमित ज़मानत की उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था और उनसे मामले में आत्मसमर्पण करने को कहा था।
सीतलवाड़ और दो अन्य आरोपियों - पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) आरबी श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट - के खिलाफ मामले की सुनवाई अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत में हो रही है। अदालत ने पहले आरोपमुक्त करने का आग्रह करने वाली श्रीकुमार की याचिका को खारिज कर दिया था।
आरोपमुक्त करने का आग्रह संबंधी सीतलवाड़ की याचिका का विरोध करते हुए, सरकार ने गवाहों के बयानों पर भरोसा किया है जिसमें सीतलवाड़ के एनजीओ ‘सिटीजन फॉर पीस’ में काम करने वाले रईस खान पठान, नरेंद्र ब्रह्मभट्ट और दंगा पीड़ित कुतुबुद्दीन अंसारी शामिल हैं। ब्रह्मभट्ट ने दावा किया था कि कांग्रेस के दिवंगत नेता अहमद पटेल ने कथित तौर पर कार्यकर्ता को 30 लाख रुपये दिए थे।
सरकार ने सीतलवाड़ द्वारा तैयार किए गए दंगा पीड़ितों के हलफनामों और अदालत के समक्ष दर्ज किए गए उनके बयानों में "विरोधाभास" को भी रेखांकित किया।
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