जरुरी जानकारी | उपभोक्ता मांग, निजी निवेश में सुधार से अगले वित्त वर्ष में वृद्धि दर सात प्रतिशत रहेगी : आरबीआई

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का अनुमान है कि परिवारों का उपभोग बढ़ने और निजी निवेश में सुधार से अगले वित्त वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहेगी।

मुंबई, आठ फरवरी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का अनुमान है कि परिवारों का उपभोग बढ़ने और निजी निवेश में सुधार से अगले वित्त वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहेगी।

हालांकि, यह राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के चालू वित्त वर्ष (2023-24) के 7.3 प्रतिशत के अनुमान से कम है। भारतीय अर्थव्यवस्था 2022-23 में 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि ग्रामीण मांग में तेजी जारी है, शहरी खपत मजबूत बनी हुई है और पूंजीगत व्यय में वृद्धि के कारण निवेश चक्र रफ्तार पकड़ रहा है। निजी निवेश में भी सुधार के संकेत दिख रहे हैं।

उन्होंने कहा कि रबी बुवाई में सुधार, विनिर्माण क्षेत्र के लाभ में सतत वृद्धि और सेवा क्षेत्र में अंतर्निहित मजबूती से 2024-25 में आर्थिक गतिविधियों को समर्थन मिलेगा।

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है। जून और सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर क्रमशः 7.2 प्रतिशत और 6.8 प्रतिशत रहेगी। वहीं दिसंबर और मार्च तिमाही में इसके सात प्रतिशत और 6.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

दास ने मांग पक्ष का जिक्र करते हुए कहा कि परिवारों के उपभोग में सुधार की उम्मीद है। इसके अलावा निश्चित निवेश की संभावनाएं भी चमकदार बनी हुई हैं। ‘‘इसके अलावा कारोबारी धारणा मजबूत है, बैंकों और कंपनियों के बही-खातों की स्थिति बेहतर है और सरकार लगातार पूंजीगत व्यय पर जोर दे रही है।’’

उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार के परिदृश्य में सुधार और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के लगातार बढ़ते एकीककरण से शुद्ध बाहरी मांग को समर्थन मिलेगा।

हालांकि, इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने कहा कि भूराजनीतिक तनाव, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उतार-चढ़ाव वृद्धि परिदृश्य के लिए जोखिम है।

दास ने कहा, ‘‘वैश्विक वृद्धि 2024 में स्थिर बनी रहने की उम्मीद है। पिछले काफी संकट वाले साल में इसने हैरान करने वाला जुझारू प्रदर्शन किया है। मुद्रास्फीति कई दशक के उच्चस्तर से नीचे आ रही है।’’

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