नयी दिल्ली, 25 जनवरी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को कहा कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सक्रिय रूप से केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) को बेहतर बनाने में लगे हुए हैं ताकि इसका उपयोग सीमापार भुगतान के लिए किया जा सके।
आरबीआई ने पायलट आधार पर थोक सीबीडीसी शुरू किया है और नौ बैंकों - भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी... को इसके लिए चुना है।
इसके अलावा, आरबीआई ने खुदरा लेन-देन के लिए एक दिसंबर, 2022 को पायलट आधार पर सीबीडीसी या ई-रुपया शुरू किया। ई-रुपया एक डिजिटल टोकन के रूप में है जो कानूनी रूप से वैध मुद्रा का प्रतिनिधित्व करता है।
इसे कागजी मुद्रा और सिक्कों के समान मूल्यवर्ग में जारी किया जा रहा है। इसे बैंकों के माध्यम से वितरित किया जा रहा है। उपयोगकर्ता पायलट परियोजना में शामिल बैंकों द्वारा पेश डिजिटल वॉलेट के माध्यम से ई-रुपये से लेनदेन कर सकते हैं।
हिंदू कॉलेज के 125 साल पूरे होने के अवसर पर एक कार्यक्रम में सीतारमण ने कहा, ‘‘हमें पूरा विश्वास है कि यह सीमापार भुगतान में मदद करेगा। यह अधिक पारदर्शिता लाएगा...।’’
उन्होंने कहा कि यह लागत में कमी लाने के साथ भुगतान में तेजी लाने में मदद करता है। इससे पैसा बाहर भेजने या देश में लाने की लागत में कमी आती है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘नियामक और सरकार दोनों इसपर काम कर रहे हैं...।’’
भारत को ‘विकसित देश’ बनाने के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हमारा ध्यान विनिर्माण और कृषि पर होगा।
सीतारमण ने कहा, ‘‘कृषि ने अपनी प्रधानता बरकरार रखी है और हम फसल कटाई के बाद की गतिविधियों आदि को आधुनिक बनाकर कृषि को मजबूत करने पर विचार कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि विनिर्माण क्षेत्र में, सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा, सेमीकंडक्टर, मशीन लर्निंग, पृथ्वी विज्ञान और अंतरिक्ष सहित 13 उभरते क्षेत्रों की पहचान की है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)