देश की खबरें | गर्भावधि मधुमेह: गर्भावस्था से पहले सामान्य शारीरिक वजन होने से इससे बचा जा सकता है
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. अगर गर्भावस्था से पहले शरीर का वजन सामान्य हो तो ‘जेस्टेनशल डाइबिटीज’ यानी गर्भावधि के दौरान होने वाले मधुमेह से बचा जा सकता है। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।
नयी दिल्ली, छह अक्टूबर अगर गर्भावस्था से पहले शरीर का वजन सामान्य हो तो ‘जेस्टेनशल डाइबिटीज’ यानी गर्भावधि के दौरान होने वाले मधुमेह से बचा जा सकता है। एक अध्ययन में यह दावा किया गया है।
स्वीडन में 2000 से 2020 तक शिशु जन्म से जुड़े लगभग 20 लाख मामलों पर किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है।
गर्भावधि मधुमेह में गर्भवती महिला के रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है और इससे बाद में ‘टाइप 2’ मधुमेह होने का खतरा बढ़ सकता है।
अध्ययन में पाया गया है कि मोटापे और अधिक वजन से गर्भावस्था के दौरान अनेक समस्याएं सामने आ सकती हैं।
इस अध्ययन में स्वीडन के लिंकोपिंग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह पता लगाने की कोशिश की कि यदि गर्भधारण से पहले महिलाओं का वजन सामान्य रहे तो गर्भावस्था संबंधी जटिलताओं से किस हद तक बचा जा सकता है।
लिंकोपिंग विश्वविद्यालय में पीएचडी की छात्रा और ‘द लैंसेट पब्लिक हेल्थ जर्नल’ में प्रकाशित अध्ययन में शामिल मरियम शिरवानीफर ने कहा, ‘‘हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि गर्भावधि मधुमेह के लगभग आधे मामलों को रोका जा सकता है। यह बात स्वीडन में जन्मी महिलाओं और विदेश में जन्मी महिलाओं- सब पर लागू होती है।’’
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि अगर गर्भावस्था से पहले वजन सामान्य रहे तो ‘प्री-एक्लेमप्सिया’ के एक चौथाई से अधिक मामलों से बचा जा सकता है। ‘प्री-एक्लेमप्सिया’ में उच्च रक्तचाप के साथ तेज सिरदर्द होता है और दृष्टि संबंधी समस्याएं जैसे धुंधला दिखाई देना तथा पैरों एवं टखनों में सूजन की समस्या हो सकती है।
अध्ययन में स्वीडन में जन्मी महिलाओं के साथ-साथ यूरोप, लातिन अमेरिका और दक्षिण एशिया से स्वीडन आने वाली महिलाएं भी शामिल हैं।
लिंकोपिंग विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य, चिकित्सा एवं देखभाल विज्ञान विभाग में वरिष्ठ ‘एसोसिएट प्रोफेसर’ एवं प्रमुख शोधकर्ता पोंटस हेनरिकसन ने बताया कि वजन सामान्य रखने के प्रयास सभी महिलाओं के लिए फायदेमंद हो सकते हैं।
हेनरिकसन ने कहा, ‘‘सामान्य वजन होना सभी के लिए अच्छा है और जीवन में यह जितनी जल्दी हो सके, उतना ही बेहतर है क्योंकि एक बार मोटापा आ जाए तो उससे छुटकारा पाना मुश्किल होता है।’’
अध्ययन में शामिल लगभग 20 लाख गर्भवती महिलाओं में से करीब 17,000 महिलाएं दक्षिण एशिया में पैदा हुई हैं।
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