जर्मनी: ट्रांसजेडरों को बड़ी राहत, बदलेगा "शर्मिंदा" करने वाला कानून
जर्मन सरकार ने नाम और लैंगिक पहचान बदलने को आसान करने वाले प्रस्तावित बिल को मंजूरी दे दी है.
जर्मन सरकार ने नाम और लैंगिक पहचान बदलने को आसान करने वाले प्रस्तावित बिल को मंजूरी दे दी है. भविष्य में ऐसे लोगों को कोर्ट के चक्कर नहीं काटने होंगे.जर्मनी की पारिवारिक मामलों की मंत्री लीजा पॉज ने नए बिल को उन लोगों के लिए बड़ी राहत बताया है, जो अपना लिंग बदलना चाहते हैं. पॉज ने बिल को ट्रांसजेंडरों और इंटरसेक्स लोगों के लिए "एक बड़ा लम्हा" करार दिया.
प्रस्तावित "सेल्फ डिटरमिनेश एक्ट" यानी स्व-निर्धारण एक्ट के जरिए सरकारी दस्तावेजों में नाम और लिंग की पहचान बदलना आसान हो जाएगा. परिवार मामलों की मंत्री के मुताबिक इस सुधार से "उन अल्पसंख्यकों की सुरक्षा हो सकेगी, जिनके साथ लंबे समय से भेदभाव होता रहा है." उन्होंने इसे एक सामाजिक और राजनैतिक विकास भी बताया.
जर्मनी के मौजूदा कानून के तहत जेंडर पहचान बदलने वाले लोगों को पहले दो मनोवैज्ञानिक रिपोर्टें जमा करनी होती हैं. इसके बाद ड्रिस्ट्रिक्ट कोर्ट फैसला करता है. इन प्रक्रिया से गुजर चुके लोगों की शिकायत है कि यह प्रोसेस बहुत लंबा, शर्मिंदा करने वाला और खर्चीला है.
जर्मनी के न्याय मंत्री मार्को बुशमन के मुताबिक, "यह अधिकार हर किसी का है कि राज्य उनकी लैंगिक पहचान का सम्मान करे. मौजूदा कानून ट्रांसजेंडर लोगों का शोषण करता है. हम इस अशोभनीय स्थिति को खत्म करना चाहते हैं."
नया कानून प्रक्रिया को कैसे बदलेगा?
प्रस्तावित बिल में कहा गया है कि नया कानून बनने के बाद अपनी लैंगिक पहचान बदलने की इच्छा रखने वाले लोग, एक स्वघोषित दस्तावेज, जरूरी विभाग के पास जमा करेंगे. प्रस्तावित कानून के मुताबिक, ऐसा स्वघोषित दस्तावेज देने के तीन महीने पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा. जेंडर पहचान बदलने के बाद एक साल तक इसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा.
14 साल से कम उम्र के बच्चों के मामले में अभिभावक, रजिस्ट्री ऑफिस में जरूरी डेक्लेरेशन जमा कर सकते हैं. किशोरों और अन्य नाबालिगों को ऐसा करने के लिए अभिभावकों की अनुमति लेनी होगी. विवाद की स्थिति में फैमिली कोर्ट मामले की सुनवाई करेगा.
सुधार के तहत जेंडर पहचान बदलने वाले शख्स का पुराना जेंडर, उसकी अनुमति के बिना उजागर नहीं किया जाएगा. इसके लिए जुर्माने का प्रावधान भी किया गया. हालांकि सरकार का कहना है कि कुछ मामलों में अपवाद हैं. आपराधिक न्याय प्रणाली के बचने के लिए नाम और जेंडर बदलने की छूट नहीं दी जाएगी.
किसे राहत देगा नया कानून
नया कानून उन लोगों को राहत देगा, जो खुद को महिला या पुरुष की लैंगिक पहचान से अलग मानते हैं. इसका फायदा ट्रांसजेंडर, इंटरसेक्स और नॉन-बायनरी लोगों को मिलेगा.
ट्रांसजेंडर वे लोग हैं, जो जन्म से मिले जेंडर को अपनी पहचान नहीं मानते हैं. मसलन कोई शारीरिक बनावट से पुरुष हो, लेकिन वह खुद को स्त्री के रूप में पहचाने, तो ऐसे लोगों को ट्रांस फीमेल कहते हैं. इसके उलट लैंगिक रुझान वाले लोगों को ट्रांस मेल कहा जाता है.
इंटरसेक्स में वे लोग आते हैं, जिनके शारीरिक सेक्स गुण पूरी तरह सिर्फ एक महिला या एक पुरुष जैसे नहीं होते हैं. नॉन बायनरी का अर्थ उन लोगों से है, जो परंपरागत लैंगिक विभाजन सिस्टम में खुद को मेल और फीमेल के रूप में परिभाषित किए जाने के खिलाफ हैं. ऐसे लोग खुद को एक खास जेंडर के दायरे में देखना पंसद नहीं करते हैं.
ओएसजे/एसएम (डीपीए, एएफपी)