जरुरी जानकारी | एफपीआई ने पिछले सप्ताह शेयर बाजारों से 4,500 करोड़ रुपये निकाले

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी की आशंका के बीच विदेशी निवेशकों ने पिछले सप्ताह सतर्क रुख अपनाते हुए भारतीय शेयर बाजारों से 4,500 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है।

नयी दिल्ली, 17 अप्रैल अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक बढ़ोतरी की आशंका के बीच विदेशी निवेशकों ने पिछले सप्ताह सतर्क रुख अपनाते हुए भारतीय शेयर बाजारों से 4,500 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है।

इससे पहले एक से आठ अप्रैल के दौरान विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय बाजार में 7,707 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। उस समय बाजार में ‘करेक्शन’ की वजह से एफपीआई को खरीदारी का अच्छा अवसर मिला था।

इससे पहले मार्च, 2022 तक छह माह के दौरान एफपीआई शुद्ध बिकवाल बने रहे और उन्होंने शेयरों से 1.48 लाख करोड़ रुपये की भारी राशि निकाली।

इसकी मुख्य वजह अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में वृद्धि की संभावना और यूक्रेन पर रूस का सैन्य हमला था।

सेबी-पंजीकृत निवेश सलाहकार राइट रिसर्च की संस्थापक सोनम श्रीवास्तव ने कहा, ’’हम उम्मीद कर रहे हैं कि यूक्रेन संकट कम होने के बाद एफपीआई बड़े स्तर पर भारत वापस आएंगे, क्योंकि हमारा मूल्यांकन अत्यधिक प्रतिस्पर्धी हो गया है।’’

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने 11-13 अप्रैल को कम छुट्टियों वाले कारोबारी सप्ताह के दौरान भारतीय शेयर बाजारों से 4,518 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है। बृहस्पतिवार को महामारी जयंती और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर जयंती तथा शुक्रवार को गुड फ्राइडे पर शेयर बाजार बंद रहे थे।

अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा आक्रामक तरीके से ब्याज दरें बढ़ाने की आशंका की वजह से सप्ताह के दौरान एफपीआई शुद्ध बिकवाल रहे।

मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक- प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक के आक्रामक तरीके से ब्याज दरें बढ़ाने की संभावना की वजह से एफपीआई ने भारत जैसे उभरते बाजारों में अपने निवेश के प्रति सतर्क रुख अपनाया।

पिछले सप्ताह एफपीआई ने ऋण या बांड बाजार से 415 करोड़ रुपये निकाले। इससे पिछले सप्ताह उन्होंने बांड बाजार में शुद्ध रूप से 1,403 करोड़ रुपये डाले थे।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘एफपीआई की बिकवाली वैश्विक बाजारों में आई गिरावट के रुख के अनुरूप है। वैश्विक बाजार फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि की आशंका की वजह से नीचे आए। इसके अलावा पिछले सप्ताह आए भारत के मुद्रास्फीति के आंकड़े भी उम्मीद से ऊंचे रहे हैं। इस वजह से भी धारणा प्रभावित हुई।’’

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