जरुरी जानकारी | रव्वा तेल गैस क्षेत्र के मामले में वेदांता के पक्ष में विेदेशी न्यायाधिकरण का फैसला बरकार

नयी दिल्ली, 16 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने वेदांता (पूर्व में केयर्न इंडिया लि) और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लि के पक्ष में विदेशी पंचाट का अवार्ड बुधवार को बरकरार रखा। इस आवर्ड के तहत रव्वा तेल और गैस फील्ड विकसित करने के लिये उसे भारत सरकार से 19.8 करोड़ अमेरिकी डालर की बजाय 47.6 करोड़ अमेरिकी डालर लेने हैं।

न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर, न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 19 फरवरी के आदेश के खिलाफ केन्द्र की अपील खारिज कर दी। पीठ ने कहा कि केन्द्र पंजाट की कार्यवाही की प्रक्रिया में प्रक्रियागत उल्लंघन का मामला नहीं साबित नहीं कर सका।

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पीठ ने उच्च न्यायालय के निर्णय को बरकरार रखते हुये अपने फैसले में कहा कि विदेशी अवार्ड भारत की सार्वजनिक नीति या न्याय की बुनियादी धारणाओं के विपरीत नहीं है।

शीर्ष अदालत ने 18 जनवरी, 2011 के इस विदेशी अवार्ड पर यथास्थिति बनाये रखने के अपने 17 जून और 22 जुलाई के अंतरिम आदेश खत्म करते हुये कहा कि माध्यस्थता और सुलह कानून, 1996 की धारा 47 और 49 के प्रावधानों के अनुरूप यह लागू करने योग्य है।

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भारत सरकार ने 1993 में बंगाल की खाड़ी से 10 से 15 किमी दूर स्थित रव्वा तेल और गैस फील्ड में पेट्रोलियम संसाधनों को विकसित करने के लिये वैश्विक निविदा आमंत्रित की थी।

वीडियोकोन इंटरनेशनल लिमिटेड और कमांड पेट्रोलियम होल्डिंग्स एनवी (वेदांता और वीडियोकोन) प्रतिवादी के पूर्ववर्ती कंपनियों ने अन्य बोलीकर्ताओं के साथ मिलकार रव्वा क्षेत्र को विकसित करने के लिये बोलियां सौंपी थी।

भारत सरकार और कमांड पेट्रोलियम इंडिया प्रा लि, रव्वा ऑयल (सिंगापुर) प्रा. लि., , वीडियोकान इंडस्ट्रीज लि और ओएनजीजी के बीच रव्वा फील्ड विकसित करने के लिये 28 अक्टूबर, 1994 को उत्पादन साझेदारी अनुबंध (पीएससी) हुआ था।

अनूप

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