जरुरी जानकारी | जिंस कीमतें घटने के बाद एफएमसीजी कंपनियों को दूसरी तिमाही में बिक्री, मार्जिन में सुधार की उम्मीद

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. जिंस कीमतों में तेजी का सिलसिला अब थमता दिखाई दे रहा है। ऐसे में अब रोजमर्रा के उपभोग का सामान बनाने वाली कंपनियां (एफएमसीजी) कीमतों में स्थिरता से ग्रामीण के साथ-साथ शहरी मांग में सुधार की उम्मीद कर रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के अंतिम महीने में एफएमसीजी कंपनियां सालाना आधार पर अपने सकल मार्जिन में बेहतर वृद्धि की उम्मीद कर सकती हैं।

नयी दिल्ली, 10 जुलाई जिंस कीमतों में तेजी का सिलसिला अब थमता दिखाई दे रहा है। ऐसे में अब रोजमर्रा के उपभोग का सामान बनाने वाली कंपनियां (एफएमसीजी) कीमतों में स्थिरता से ग्रामीण के साथ-साथ शहरी मांग में सुधार की उम्मीद कर रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के अंतिम महीने में एफएमसीजी कंपनियां सालाना आधार पर अपने सकल मार्जिन में बेहतर वृद्धि की उम्मीद कर सकती हैं।

पारले प्रोडक्ट्स के वरिष्ठ श्रेणी प्रमुख मयंक शाह ने कहा कि जिंस कीमतें अब अपने उच्चस्तर से 15 से 20 प्रतिशत नीचे आ चुकी हैं। ‘‘ऐसे में ऊंची मुद्रास्फीति की वजह से प्रभावित रही एफएमसीजी कंपनियों को अब कुछ राहत मिली है। ज्यादातर कंपनियां चरणबद्ध तरीके से मूल्यवृद्धि करती हैं। ऐसे में अब हमें और मूल्यवृद्धि या पैकेटबंद सामग्री के वजन में कटौती देखने को नहीं मिलेगी।’’

शाह ने कहा कि कीमतों में वृद्धि के बावजूद एफएमसीजी कंपनियां लागत में हुई पूरी बढ़ोतरी की भरपाई नहीं कर पाई हैं। उन्होंने कहा कि जिंसों के दाम हालांकि नीचे आए हैं, लेकिन पिछले साल की समान अवधि से तुलना की जाए, तो ये अब भी काफी ऊंचे हैं।

उन्होंने कहा कि ज्यादा से ज्यादा अब यह हो सकता है कि दाम और नहीं बढ़ें। कीमतों में स्थिरता से ग्रामीण और शहरी दोनों बाजारों में सुधार देखने को मिलेगा।

इसी तरह की राय जताते हुए एडलवाइस फाइनेंशियल सर्विसेज के कार्यकारी निदेशक अबनीश रॉय ने कहा कि कच्चे तेल के दाम एक महीने के निचले स्तर पर हैं। पैकेजिंग की लागत कच्चे तेल की कीमतों से ही जुड़ी होती है। यह सभी एफएमसीजी कंपनियों के लिए लागत का एक प्रमुख हिस्सा होता है।

मार्जिन में बढ़ोतरी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में ज्यादा लाभ देखने को नहीं मिलेगा क्योंकि कंपनियों के पास करीब दो-तीन महीने का कच्चा माल पहले से रहता है। हालांकि, चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मार्जिन में अच्छा सुधार देखने को मिलेगा।

रॉय ने कहा कि 2022-23 की दूसरी तिमाही में सितंबर के महीने से हिंदुस्तान यूनिलीवर लि. ब्रिटानिया, नेस्ले और जीसीपीएल जैसी कंपनियों को अच्छा लाभ मिलेगा, क्योंकि ये कंपनियां पाम तेल का इस्तेमाल करती हैं। अन्य कंपनियों के लिए कच्चे तेल की कीमतें महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इससे उनको पैकेजिंग की लागत में फायदा होगा।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट को भी जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि ज्यादातर कच्चा माल आयातित होता है।

गोदरेज समूह की एफएमसीजी इकाई गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लि. (जीसीपीएल) को आगामी तिमाही में उपभोग और सकल मार्जिन में सुधार की उम्मीद है।

जीसीपीएल ने 2022-23 की पहली तिमाही के बारे में कहा कि मुद्रास्फीतिक दबाव अब कम हो रहा है। पाम तेल डेरिवेटिव और कच्चे तेल में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। ये हमारे लिए महत्वपूर्ण कच्चा माल हैं। ऐसे में हम आगामी तिमाही में उपभोग और सकल मार्जिन में उल्लेखनीय सुधार की उम्मीद कर सकते हैं।

जीसीपीएल के ब्रांड में गोदरेज नंबर वन, ईजी, गुड नाइट, सिंथोल, हिट और प्रोटेक्ट शामिल हैं।

इसी तरह सफोला, पैराशूट, काया और हेयर एंड केयर जैसे लोकप्रिय ब्रांड की बिक्री करने वाली मैरिको ने कहा कि तिमाही के दौरान प्रमुख कच्चे माल खोपरा की कीमतें नरम रहीं।

पहली तिमाही में खाद्य और कच्चे तेल के दाम नीचे आए हैं। लेकिन तिमाही के दौरान कंपनी की ज्यादातर खपत महंगे भंडारण से हुई है।

मैरिको ने कहा, ‘‘हमें परिचालन लागत में सुधार की उम्मीद है। सालाना परिचालन लाभ अच्छा रहेगा। हालांकि, कंपनी का मानना है कि उसका शुद्ध मुनाफा परिचालन लाभ से कम रहेगा क्योंकि एक विनिर्माण इकाई मे वित्तीय लाभ समाप्त होने के बाद 2022-23 में उसकी प्रभावी कर दर (ईटीआर) ढाई से तीन प्रतिशत अधिक बैठेगी।

एक अन्य एफएमसीजी कंपनी डाबर ने कहा कि उसका मध्यम से दीर्घावधि में उद्योग की तुलना में ऊंची वृद्धि का लक्ष्य है। हालांकि, निकट भविष्य में मुद्रास्फीतिक दबाव कायम रहेगा।

अजय

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