नयी दिल्ली, 13 मई: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने छह माह के शिशु की उसकी मां के अस्थि निरोपण का इस्तेमाल कर सफलतापूर्वक मेटल-फ्री स्पाइन फिक्सेशन सर्जरी की, जिससे वह ऐसी सर्जरी कराने वाला एशिया का सबसे कम उम्र का बच्चा बन गया है. एम्स ने एक बयान में कहा कि शिशु को गत वर्ष 10 जून को 15 घंटे तक चली सर्जरी के बाद 11 महीनों तक वेंटीलेटर पर रखा गया और 10 मई को उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी. यह भी पढ़ें: Writing With Fire: जामिया के पूर्व छात्रों की 'राइटिंग विद फायर' को पीबॉडी अवार्ड, ऑस्कर के लिए नॉमिनेट होने वाली पहली भारतीय फीचर डॉक्यूमेंट्री
एम्स में न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डॉ. दीपक गुप्ता ने बताया कि शिशु को एक अन्य अस्पताल में सामान्य प्रसव के दौरान रीढ़ की हड्डी तथा ब्रेकियल प्लेक्सस में चोट लगी थी. जन्म के समय उसका वजन 4.5 किलोग्राम था. जन्म के बाद बच्चे को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया और उसे एस्पिरेशन निमोनिया से पीड़ित बताया गया था.
डॉ. गुप्ता ने कहा, ‘‘मई 2022 में जब पांच महीने की उम्र में उसे हमारे पास लाया गया था तो उसकी श्वसन प्रणाली खराब हो गयी थी तथा तीनों अंगों (बाएं ऊपरी और निचले अंग, दाएं निचले अंग) में गतिविधि कम हो गयी थी. जांच में पता चला कि उसकी रीढ़ की हड्डी में चोट है तथा ग्रीवा रीढ़ अपने स्थान से हट गयी है.
उन्होंने कहा, ‘‘इतने छोटे बच्चों की रीढ़ की हड्डी का मेटल प्रतिरोपण लगभग असंभव था जिसके बाद मां ने अपनी इलियाक क्रेस्ट हड्डी का एक हिस्से अपने बच्चे को देने पर सहमति जतायी.’’ उन्होंने बताया कि इतनी कम उम्र में ज्यादातर हड्डियां नरम, आकार में इतनी छोटी होती हैं कि उन्हें मेटल स्क्रू या रॉड से ठीक नहीं किया जा सकता.
बच्चे और मां की सर्जरी एक साथ की गयी. दिलचस्प बात यह है कि मां का ब्लड ग्रुप बी पॉजीटिव है और शिशु का ए पॉजीटिव है लेकिन अस्थि निरोपण में कोई दिक्कत नहीं आयी. डॉ. गुप्ता ने कहा, ‘‘अब तक प्रकाशित जानकारी के अनुसार यह एशिया का सबसे कम उम्र का और दुनिया का दूसरा सबसे कम उम्र का बच्चा है जिसकी सर्वाइकल स्पाइन फिक्सेशन सर्जरी हुई है.’’ अस्पताल ने एक बयान में कहा कि बच्चा अपने माता-पिता से अच्छी तरह संवाद कर रहा है, खा-पी रहा है और सर्जरी के बाद उसके स्वास्थ्य में सुधार दिखा है.
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