देश की खबरें | संविधान विरोधी बयान को लेकर विधायक साजी चेरियन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. केरल में माकपा के विधायक साजी चेरियन के संविधान विरोधी बयान के संबंध में उनके खिलाफ बृहस्पतिवार को एक प्राथमिकी दर्ज की गई।
पठानमथिट्टा (केरल), सात जुलाई केरल में माकपा के विधायक साजी चेरियन के संविधान विरोधी बयान के संबंध में उनके खिलाफ बृहस्पतिवार को एक प्राथमिकी दर्ज की गई।
बयान को लेकर विपक्षी दलों सहित विभिन्न वर्गों के निशाने पर आने के बाद सांस्कृतिक और मत्स्य पालन विभाग के मंत्री चेरियन ने अपने पद से बुधवार को इस्तीफा दे दिया था।
जिल के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि कीझवईपुर थाने में राष्ट्रीय सम्मान के अपमान की रोकथाम अधिनियम की धारा-2 के तहत मामला दर्ज किया गया। अधिनियम के तहत अधिकतम तीन साल कारावास या जुर्माना या दोनों सजाएं एक साथ देने का प्रावधान है।
प्राथमिकी जब दर्ज की गई, तब विधायक विधानसभा के मौजूदा सत्र में हिस्सा लेने के लिए सदन में थे।
तिरुवल्ला में एक मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश पर अमल करते हुए पुलिस ने बुधवार को चेरियन के खिलाफ मामला दर्ज किया। अदालत ने चेरियन के खिलाफ एर्नाकुलम के एक वकील द्वारा कथित रूप से संविधान का अपमान करने को लेकर दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था।
मंत्री पद से हटाए जाने की विपक्ष की मांग के बीच चेरियन ने बुधवार को कहा था कि उन्होंने स्वेच्छा से पद छोड़ने का फैसला किया है।
गौरतलब है कि चेरियन ने संविधान की आलोचना करते हुए कहा था कि यह ‘‘शोषण को माफ करता है’’ और इसे इस तरह से लिखा गया है कि इसका इस्तेमाल देश के लोगों को ‘‘लूटने’’ के लिए किया जा सके।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता चेरियन ने दक्षिणी जिले के मल्लापल्ली में हाल ही में आयोजित हुए एक राजनीतिक कार्यक्रम में यह बयान दिया था। मंगलवार को कई क्षेत्रीय टेलीविजन चैनल पर इस भाषण का प्रसारण होने के बाद इस मुद्दे ने तूल पकड़ा।
चेरियन ने मंगलवार को दोपहर में विधानसभा में एक बयान में कहा था कि पठानमथिट्टा जिले के मल्लापल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में की गई उनकी टिप्पणियों के साथ ‘‘छेड़छाड़’’ की गई है।
उन्होंने कहा था, ‘‘ मैं एक जन सेवक हूं, जो संविधान का सम्मान करता है और उसके महान मूल्यों का पालन करता है। मेरा संविधान का अपमान करने या उसके खिलाफ कुछ भी कहने का कभी भी कोई इरादा नहीं था।’’
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