चंडीगढ़, 21 अगस्त पंजाब में बाढ़ से हुए नुकसान के मुआवजे की मांग को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन करने की योजना से पहले सोमवार को पंजाब पुलिस ने कई किसान नेताओं को ‘‘हिरासत में’’ ले लिया । किसानों ने यह दावा किया।
किसान मजदूर संघर्ष समिति, भारती किसान यूनियन (क्रांतिकारी), बीकेयू (एकता आजाद), आजाद किसान समिति, दोआबा, बीकेयू (बेहरामके) और भूमि बचाओ मुहिम सहित सोलह किसान संगठनों ने 22 अगस्त को यहां प्रदर्शन करने की योजना बनाई है।
किसानों के अनुसार, पंजाब पुलिस द्वारा गुरदासपुर और तरनतारन सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में किसान नेताओं को ‘‘हिरासत में’’ लिया गया है।
तरनतारन में किसानों के एक नेता ने दावा किया कि पुलिस ने कथित तौर पर किसान नेताओं के आवास पर ‘‘छापेमारी’’ की और उन्हें हिरासत में लिया।
कथित पुलिस कार्रवाई के विरोध में, किसान मजदूर संघर्ष समिति के प्रति निष्ठा रखने वाले किसानों ने तरनतारन में एक टोल प्लाजा पर विरोध प्रदर्शन किया।
किसान नेता पंजाब समेत पूरे उत्तर क्षेत्र में बाढ़ से हुए नुकसान के लिए केंद्र से 50,000 करोड़ रुपये के पैकेज की मांग कर रहे हैं ।
वे फसल के नुकसान के लिए 50,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा, क्षतिग्रस्त घर के लिए 5 लाख रुपये और बाढ़ में मरने वाले व्यक्ति के परिवार के लिए 10 लाख रुपये मुआवजे की भी मांग कर रहे हैं।
रविवार को 16 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने विरोध को लेकर चंडीगढ़ और पंजाब पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ राजधानी चंडीगढ़ में बैठक की थी।
शिरोमणि अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने किसान नेताओं के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे ‘‘अलोकतांत्रिक’’ बताया। चीमा ने कहा कि राज्य सरकार प्रभावित किसानों और खेतिहर मजदूरों को राहत देने में ‘‘बुरी तरह विफल’’ रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘उनकी हालत दिन-ब-दिन ख़राब होती जा रही है। ज्यादातर जगहों पर उन्हें दो बार नुकसान हुआ है लेकिन सरकार ने पहले नुकसान का भी मुआवजा नहीं दिया है । जिन लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा और वे खुले में बैठे हैं, उनके लिए तत्काल कोई मदद नहीं है।’’
चीमा ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘लेकिन इन सबके बावजूद अगर वे अपनी पीड़ा को उजागर करने के लिए शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना चाहते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। यह अमानवीय है। उन सभी को तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।’’
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