देश की खबरें | शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन:न्यायालय ने पंजाब और हरियाणा से स्थिति को और खराब न करने को कहा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा सरकारों से कहा कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सहित अन्य मांगों को लेकर शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों से संपर्क करने के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित करने के वास्ते कुछ तटस्थ व्यक्तियों के नाम सुझाएं। न्यायालय ने कहा कि किसी को भी स्थिति को बिगाड़ना नहीं चाहिए।

नयी दिल्ली, दो अगस्त उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को पंजाब और हरियाणा सरकारों से कहा कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सहित अन्य मांगों को लेकर शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों से संपर्क करने के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित करने के वास्ते कुछ तटस्थ व्यक्तियों के नाम सुझाएं। न्यायालय ने कहा कि किसी को भी स्थिति को बिगाड़ना नहीं चाहिए।

न्यायालय ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों को अपनी शिकायतें व्यक्त करने का अधिकार है और वह सभी पक्षों को शामिल करते हुए बातचीत की एक सहज शुरुआत चाहता है।

शीर्ष अदालत पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर अंबाला के पास शंभू बॉर्डर पर बैरिकेड हटाने के लिए कहा गया था, जहां प्रदर्शनकारी किसान 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कहा, ‘‘किसी को भी स्थिति को और बिगाड़ना नहीं चाहिए। उनकी (किसानों) भावनाओं को ठेस न पहुंचाएं, लेकिन एक राज्य के रूप में... आप उन्हें समझाने की कोशिश करें कि जहां तक ट्रैक्टरों, जेसीबी मशीनों और अन्य कृषि उपकरणों का सवाल है, उन्हें उन जगहों पर ले जाएं जहां उनकी जरूरत है जैसे खेत या कृषि भूमि में।’’

पीठ ने कहा, ‘‘हां, लोकतांत्रिक व्यवस्था में उन्हें अपनी शिकायतें व्यक्त करने का अधिकार है। ये शिकायतें अपने स्थान पर रहकर भी व्यक्त की जा सकती हैं।’’

न्यायालय ने 24 जुलाई को मामले की सुनवाई करते हुए प्रदर्शनकारियों से संपर्क करने और उनकी मांगों का समाधान करने के लिए प्रतिष्ठित लोगों की एक स्वतंत्र समिति के गठन का प्रस्ताव रखा था।

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान, हरियाणा सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्होंने 24 जुलाई के अदालत के निर्देशानुसार इस पर काम शुरू कर दिया है।

पंजाब की ओर से पेश वकील ने चरणबद्ध तरीके से राजमार्ग खोलने का उल्लेख किया।

पीठ ने कहा, ‘‘आप अपने प्रस्ताव का आदान-प्रदान क्यों नहीं करते? हर बार दो राज्यों के बीच लड़ाई होना जरूरी नहीं है।’’

मेहता ने दलील दी कि कोई राज्य यह नहीं कह सकता कि किसानों को देश की राजधानी में जाने दिया जाए। उन्होंने कहा कि नोटिस जारी होने के बावजूद किसान उच्च न्यायालय के समक्ष पेश नहीं हुए।

पीठ ने कहा, ‘‘हम सभी पक्षों के बीच बातचीत की प्रक्रिया के संदर्भ में एक बहुत ही सहज शुरुआत चाहते हैं।’’

पीठ ने राज्यों से समिति में शामिल किए जा सकने वाले लोगों के कुछ नाम सुझाने को कहा। उसने कहा कि देश में बहुत अनुभवी हस्तियां हैं, जो समस्याओं के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘कुछ तटस्थ व्यक्तियों के बारे में विचार करें। अगर आप दोनों समान नाम सुझा सकें तो हम इसका स्वागत करेंगे क्योंकि इससे किसानों में अधिक आत्मविश्वास पैदा होगा।’’

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\