देश की खबरें | किसान नेताओं ने ‘सम्मानपूर्ण समाधान’ की जरूरत बताई, कहा दबाव में नहीं मानेंगे

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले ही कहा था कि उनकी सरकार किसानों से बस एक ‘फोन कॉल’ दूर है और रविवार को प्रदर्शनकारी किसान संघों के नेताओं ने कहा कि एक ‘सम्मानपूर्ण समाधान’ निकाला जाना चाहिए लेकिन वे दबाव में किसी चीज के लिए रजामंद नहीं होंगे।

नयी दिल्ली/गाजियाबाद, 31 जनवरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले ही कहा था कि उनकी सरकार किसानों से बस एक ‘फोन कॉल’ दूर है और रविवार को प्रदर्शनकारी किसान संघों के नेताओं ने कहा कि एक ‘सम्मानपूर्ण समाधान’ निकाला जाना चाहिए लेकिन वे दबाव में किसी चीज के लिए रजामंद नहीं होंगे।

किसान नेता राकेश टिकैत और नरेश टिकैत ने मांग की कि सरकार को वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिहाज से प्रदर्शनकारियों को रिहा कर देना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा कि गणतंत्र दिवस पर तिरंगे के अपमान से पूरा देश दु:खी है।

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की बृहस्पतिवार को की गयी भावनात्मक अपील के बाद दिल्ली-उत्तर प्रदेश की सीमा गाजीपुर बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसानों की आमद जारी है।

केन्द्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ नवंबर के अंत से जारी किसान आंदोलन की गति गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में ट्रैक्टर परेड में हुई हिंसा के बाद थम गई थी लेकिन राकेश टिकैत के पत्रकारों से बातचीत के दौरान आंसू नहीं रोक पाने के बाद उन्हें समर्थन बढ़ता जा रहा है।

इस बीच नरेश टिकैत का मुजफ्फरनगर में संवाददाताओं से बातचीत का एक वीडियो रविवार को सोशल मीडिया पर सामने आया जिसमें कृषि कानूनों को ‘आग’ करार देते हुए वह कह रहे हैं, ‘‘इस कानून को दबा दो। ये आग है। ये बहुत नुकसान की आग है।’’

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘इस सरकार में राजनाथ सिंह की तौहीन हो रही है।’’

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) प्रमुख सुखबीर सिंह बादल गाजीपुर बॉर्डर पहुंचे और किसान आंदोलन को अपना समर्थन दिया। उन्होंने राकेश टिकैत से मुलाकात की।

कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे टिकैत भाइयों ने रविवार को कहा कि किसान प्रधानमंत्री की गरिमा का सम्मान करेंगे, लेकिन वे आत्म-सम्मान की रक्षा के लिए भी प्रतिबद्ध हैं।

उन्होंने चेतावनी दी कि कृषि कानूनों का मुद्दा चुनाव में भाजपा के लिए भारी पड़ सकता है।

किसानों के प्रदर्शन का पश्चिम उत्तर प्रदेश की राजनीति पर क्या कोई असर पड़ेगा, इस सवाल पर भाकियू के अध्यक्ष और बड़े भाई नरेश टिकैत ने कहा, ‘‘वे किसी को भी वोट देने के लिए स्वतंत्र हैं। हम उनसे किसी पार्टी विशेष के लिए मतदान करने को नहीं कह सकते। अगर किसी पार्टी ने उन्हें आहत किया है तो वे उसे सत्ता में वापस क्यों लाएंगे?’’

टिकैत बंधुओं ने कहा कि वे ‘बीच का रास्ता’ निकालने के लिए सरकार के साथ बातचीत को तैयार हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री ने गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा के कुछ दिन बाद शनिवार को कहा था कि प्रदर्शनकारी किसानों के लिए उनकी सरकार का प्रस्ताव अब भी बरकरार है और सरकार बातचीत से महज ‘‘एक फोन कॉल’’ दूर है।

राकेश टिकैत ने कहा, ‘‘हम प्रधानमंत्री की गरिमा का सम्मान करेंगे। किसान नहीं चाहते कि सरकार या संसद उनके आगे झुकें।’’

हालांकि उन्होंने कहा, ‘‘हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि किसानों के आत्म-सम्मान की रक्षा हो।’’

गणतंत्र दिवस पर अनेक प्रदर्शनकारी लाल किले के अंदर पहुंच गये थे।

टिकैत बंधुओं ने भी गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा की निंदा की और कहा कि यह अस्वीकार्य है। हालांकि उन्होंने आरोप लगाया कि यह हिंसा एक षड्यंत्र का नतीजा थी।

उन्होंने कहा कि तिरंगा सबसे ऊपर है और वे कभी किसी को इसका अपमान नहीं करने देंगे।

दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को हुई हिंसा के संबंध में करीब 40 मामले दर्ज किए हैं और 80 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है।

राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को ‘‘हमारे लोगों को रिहा करना चाहिए और वार्ता के अनुकूल माहौल तैयार करना चाहिए।’’

नरेश टिकैत ने ‘पीटीआई ’ से कहा, ‘‘वार्ता जरूरी है। समाधान निकलना चाहिए। ये किसान दो महीने से अधिक वक्त से प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांग पूरी होनी चाहिए।’’

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