जरुरी जानकारी | विदेशी बाजारों में गिरावट के बीच सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल और सीपीओ में गिरावट
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. शिकॉगो और मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट के रुख के बीच देश के थोक तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट रही। आवक घटने और सरकारी खरीद के आश्वासन के बीच सोयाबीन तिलहन तथा कुछ राज्यों में कपास के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक दाम मिलने के कारण बिनौला तेल के दाम मजबूत बंद हुए। सरकारी खरीद के बावजूद हाजिर दाम एमएसपी से कम रहने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।
नयी दिल्ली, 13 नवंबर शिकॉगो और मलेशिया एक्सचेंज में गिरावट के रुख के बीच देश के थोक तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट रही। आवक घटने और सरकारी खरीद के आश्वासन के बीच सोयाबीन तिलहन तथा कुछ राज्यों में कपास के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से अधिक दाम मिलने के कारण बिनौला तेल के दाम मजबूत बंद हुए। सरकारी खरीद के बावजूद हाजिर दाम एमएसपी से कम रहने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि सरकार ने सोयाबीन तिलहन की एमएसपी पर खरीद करने का आश्वासन दिया है और इस बीच और नीचे दाम पर बिकवाली से बचने के कारण सोयाबीन तिलहन के दाम में सुधार देखने को मिला। वहीं, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में कपास नरमा के लिए एमएसपी से अधिक दाम मिलने के कारण बिनौला तेल कीमतों में भी मजबूती रही।
उन्होंने कहा कि मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज के कमजोर होने की वजह से सोयाबीन तेल, सीपीओ एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट आई। वहीं सहकारी संस्था, हाफेड और नाफेड की बिकवाली जारी रहने के बीच सरसों तेल-तिलहन के दाम भी हानि के साथ बंद हुए। मूंगफली की सरकारी खरीद के बावजूद ऊंचे दाम पर बाजार नहीं होने की वजह से हाजिर बाजार में एमएसपी से कम दाम होने के बीच मूंगफली तेल-तिलहन कीमतें अपरिवर्तित रहीं।
सूत्रों ने कहा कि देश के प्रमुख तेल संगठन, साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) का कहना है कि इस बार खाद्य तेलों का आयात पिछले साल के मुकाबले घटा है और इसका कारण देश में तिलहन उत्पादन का बढ़ना भी है। सूत्रों ने कहा कि अगर देश में उत्पादन बढ़ा भी है तो उसके साथ-साथ खपत भी बढ़ी है और खाद्य तेलों की आयात कम होने की असली वजह उन तेल कारोबरियों का खाद्य तेलों का स्टॉक जमा करने की क्षमता का ह्रास है जो वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। ये कारोबारी पहले खाद्य तेलों का आयात कर उसका स्टॉक जमा कर लेते थे, पर अब उनकी यह क्षमता प्रभावित हुई है।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 6,490-6,540 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6,600-6,875 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,500 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल - 2,335-2,635 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 13,700 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,260-2,360 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,260-2,385 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,300 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,500 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 13,500 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,360-4,410 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,060-4,095 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,200 रुपये प्रति क्विंटल।
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