नयी दिल्ली, सात जुलाई राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने कथित आबकारी घोटाले से जुड़े एक मामले के आरोपी कारोबारी एवं अभियोजन पक्ष के गवाह दिनेश अरोड़ा को धनशोधन के एक मामले में शुक्रवार को चार दिन के लिए प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में भेज दिया। अरोड़ा अभियोजन पक्ष के गवाह घोषित हो चुके हैं।
ईडी ने अरोड़ा की सात दिनों की हिरासत संबंधी अर्जी में अदालत से अनुरोध किया कि इस मामले में एक बड़ी साजिश का पता लगाने के लिए उससे पूछताछ आवश्यक है।
इसके बाद विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल ने अरोड़ा को 11 जुलाई तक ईडी की हिरासत में भेज दिया।
लंबी पूछताछ के बाद बृहस्पतिवार देर रात अरोड़ा को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया।
सूत्रों ने कहा कि वह जवाब देने में टाल-मटोल कर रहे थे और एजेंसी के साथ सहयोग नहीं कर रहे थे, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
व्यवसायी कथित तौर पर आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के करीबी सहयोगी थे। सिसोदिया भी आबकारी नीति मामले में आरोपी हैं और उन्हें ईडी के साथ-साथ सीबीआई ने भी गिरफ्तार किया है।
ईडी ने एक पूरक आरोप पत्र में सिसोदिया पर दिनेश अरोड़ा के माध्यम से मामले में एक अन्य आरोपी कारोबारी अमित अरोड़ा से रिश्वत लेने का आरोप लगाया है।
संघीय जांच एजेंसी ने रिश्वत की इस राशि को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ‘अपराध की आय’ बताया है।
अमित अरोड़ा शराब कंपनियों- बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड, पॉपुलर स्पिरिट्स और केएसजेएम स्पिरिट्स एलएलपी के प्रवर्तक हैं।
दिल्ली की एक अदालत ने पिछले साल 16 नवंबर को मामले में दिनेश अरोड़ा को सरकारी गवाह बनाने की सीबीआई की याचिका स्वीकार कर ली थी और उन्हें माफ कर दिया था।
यह शायद एक दुर्लभ या पहला उदाहरण है, जहां सीबीआई जांच में आरोपी से सरकारी गवाह बने (अभियोजन गवाह) व्यक्ति को ईडी ने गिरफ्तार किया है, जबकि दो संघीय एजेंसियों ने एक ही मामले की जांच की।
ईडी का धनशोधन मामला सीबीआई की ओर से दर्ज आपराधिक मामले पर आधारित है।
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