नयी दिल्ली, 15 नवंबर दिल्ली की एक अदालत ने कहा कि आबकारी नीति 2021-22 से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता विजय नायर तथा कारोबारी अभिषेक बोइनपल्ली के खिलाफ कथित अपराध के लिए सात साल की जेल की अधिकतम सजा है लेकिन यह अपराध इतना भी गंभीर नहीं है कि उन्हें जमानत देने से इनकार किया जाए।
विशेष न्यायाधीश एम के नागपाल ने सोमवार को एक आदेश पारित करते हुए यह टिप्पणी की। उन्होंने दोनों को दो-दो लाख रुपये के निजी मुचलके पर राहत दी।
आप के संचार प्रभारी नायर और बोइनपल्ली हालांकि, हिरासत में रहेंगे क्योंकि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन के एक मामले में उन्हें गिरफ्तार किया है।
अदालत ने कहा कि भ्रष्टाचार का मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज प्राथमिकी पर आधारित है, जो यह नहीं कहता कि नायर तथा बोइनपल्ली ने कोई स्थायी अपराध नहीं किया बल्कि वे एक आपराधिक षडयंत्र का कथित तौर पर हिस्सा थे।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आपराधिक षडयंत्र के इस अपराध के संबंध में अधिकतम सजा सात साल है और कानूनी प्रस्तावों के मद्देनजर इसे इतना भी गंभीर नहीं माना जा सकता कि उन्हें जमानत देने से इनकार किया जाए।’’
अदालत ने कहा कि बयानों के रूप में एकत्रित किए गए मौखिक सबूतों के अलावा ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि आरोपियों ने बड़ी मात्रा में धन का लेनदेन किया।
अदालत ने कहा कि नायर तथा बोइनपल्ली को हिरासत में रखना उचित नहीं लगता है क्योंकि इस मामले में वे पहले ही क्रमश: 49 दिन और 37 दिन से हिरासत में हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि अगर आरोपियों को जमानत पर रिहा किया जाता है तो उनमें से किसी भी आरोपी के फरार होने का खतरा नहीं है।’’
गौरतलब है कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी जिसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गयी।
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि नायर हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली के विभिन्न होटलों में "हवाला ऑपरेटर के माध्यम से अवैध धन" की व्यवस्था करने के लिए अन्य सह-आरोपियों और शराब निर्माताओं तथा वितरकों के साथ बैठकें करने में शामिल था।
सीबीआई ने दावा किया है कि बोइनपल्ली भी बैठकों का हिस्सा था।
केंद्रीय एजेंसी ने आरोप लगाया है कि बोइनपल्ली एक अन्य आरोपी शराब व्यवसायी समीर महेंद्रू के साथ धनशोधन की साजिश में शामिल था, जो गिरफ्तारी के बाद तिहाड़ जेल में बंद है।
धनशोधन मामले में ईडी ने दिल्ली के जोर बाग स्थित शराब वितरक इंडोस्पिरिट ग्रुप के प्रबंध निदेशक महेंद्रू की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली और पंजाब में करीब तीन दर्जन ठिकानों पर छापेमारी की थी।
मामले के अन्य आरोपियों में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, तत्कालीन आबकारी आयुक्त अरवा गोपी कृष्ण, उपायुक्त आनंद तिवारी और सहायक आयुक्त पंकज भटनागर शामिल हैं।
दोनों एजेंसियों के अनुसार, आबकारी नीति में संशोधन करते समय अनियमितता की गई और लाइसेंसधारकों को अनुचित लाभ दिया गया।
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