यूरोप, उसके साझेदारों को एआई के खतरों पर नया वैश्विक खाका तैयार करना चाहिए: ईयू प्रमुख
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने रविवार को कहा कि यूरोप और उसके साझेदारों को कृत्रिम मेधा (एआई) से जुड़े खतरों के संबंध में एक नया वैश्विक खाका तैयार करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह प्रणालीगत सामाजिक जोखिमों से रक्षा करेगा और सुरक्षित तथा जिम्मेदार एआई प्रणाली में निवेश को बढ़ावा देगा.
नयी दिल्ली, 10 सितंबर: यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने रविवार को कहा कि यूरोप और उसके साझेदारों को कृत्रिम मेधा (एआई) से जुड़े खतरों के संबंध में एक नया वैश्विक खाका तैयार करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह प्रणालीगत सामाजिक जोखिमों से रक्षा करेगा और सुरक्षित तथा जिम्मेदार एआई प्रणाली में निवेश को बढ़ावा देगा.
लेयेन ने जी20 शिखर सम्मेलन के ‘‘एक भविष्य’’ सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि एक बात स्पष्ट नजर आती है कि भविष्य डिजिटल का है. उन्होंने कहा,‘‘ आज मैं एआई और डिजिटल आधारभूत ढांचे पर ध्यान केन्द्रित करना चाहती हूं. जैसी व्याख्या की जा रही है, एआई के खतरे हैं लेकिन इसमें अपार संभावनाएं भी हैं. अहम प्रश्न यह है कि तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कैसे करना है.’’
उन्होंने कहा कि एआई बनाने वाले भी नेताओं से इसके नियमन की बात कह रहे हैं, लेयेन ने कहा, ‘‘यूरोपीय संघ में 2020 में हमने कृत्रिम मेधा पर पहला कानून पेश किया। हम नवाचार को बढ़ावा देने के साथ ही भरोसा भी कायम करना चाहते हैं। लेकिन हमें और काम करने की जरूरत है। आज दुनिया जो करेगी उस पर हमारा भविष्य निर्भर करेगा। मेरा मानना है कि यूरोप और उसके साझेदारों को एआई के जोखिमों के संबंध में एक नया वैश्विक ढांचा विकसित करना चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसे प्रणालीगत सामाजिक जोखिमों से हमारी रक्षा करनी चाहिए साथ ही सुरक्षित एवं जिम्मेदार एआई प्रणाली में निवेश को बढ़ावा देना चाहिए,’’ लेयेन ने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर हमें वस्तुत: संयुक्त राष्ट्र के व्यापक समुदाय तक पहुंचने की जरूरत है. हमें जलवायु के लिए आईपीसीसी के समान एक निकाय की आवश्यकता होगी. हमें वैज्ञानिकों, उद्वमियों तथा नवोन्मेषकों तक अतिरिक्त पहुंच की जरूरत होगी.’’
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें एआई द्वारा उत्पन्न जोखिमों के साथ-साथ मानवता के लिए संभावित लाभों पर ज्ञान प्रदान करने की आवश्यकता है. डिजिटल सार्वजनिक ढांचे पर उन्होंने कहा कि वे उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को तेजी प्रदान कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि भारत ने अपना डिजिटल सार्वजनिक ढांचा क्रियान्वित करने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है. लेयेन ने कहा, ‘‘ हमने प्रधानमंत्री को सुना और हम उनकी पहल को समर्थन देते हैं. अपार संभावनाएं हैं, निवेश कम हैं. तरकीब यह है कि ऐसे सार्वजनिक 4डिजिटल बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाए, जो अंतरसंचालित हो, सभी के लिए खुला हो और विश्वसनीय हो.’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)