जरुरी जानकारी | ईएससी ने इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर क्षेत्र में आरएंडी, नवाचार को बढ़ावा देने की वकालत की
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर निर्यात संवर्धन परिषद (ईएससी) ने डिजाइन से जुड़ी प्रोत्साहन (डीएलआई) योजना में और अधिक सुधार की वकालत की है, ताकि इसे अधिक व्यापक एवं प्रभावोन्मुख बनाया जा सके।
नयी दिल्ली, 29 दिसंबर इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर निर्यात संवर्धन परिषद (ईएससी) ने डिजाइन से जुड़ी प्रोत्साहन (डीएलआई) योजना में और अधिक सुधार की वकालत की है, ताकि इसे अधिक व्यापक एवं प्रभावोन्मुख बनाया जा सके।
रविवार को जारी एक बयान में कहा गया कि उद्योग निकाय ने हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बातचीत के दौरान पूंजी गहन इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) तथा नवाचार को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन की जोरदार वकालत की है।
ईएससी ने भारत में अनुसंधान एवं विकास को आगे बढ़ाने तथा पेटेंट/डिजाइन दाखिल करने के लिए अपने कारोबार का तीन प्रतिशत से अधिक खर्च करने वाली भारतीय कंपनियों के लिए अतिरिक्त आयकर छूट की भी मांग की है।
ईएससी ने एक बयान में कहा, ''हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक विशेष बातचीत में, निर्यात संवर्धन परिषद ने कहा कि उद्योग की कंपनियों को सशक्त बनाने के लिए तैयार की गई एक अच्छी तरह से सक्षम प्रोत्साहन प्रणाली मूल्य श्रृंखला को बढ़ावा दे सकती है। इससे एआई, आईओटी, दूरसंचार जैसे अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी खंड और अर्धचालक, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा उपकरण जैसे क्षेत्रों को लाभ होगा।''
ईएससी के सुझावों की सूची में उन भारतीय कंपनियों के लिए आयकर में अतिरिक्त पांच प्रतिशत की छूट की मांग भी शामिल है, जो अपने कारोबार का तीन प्रतिशत से अधिक हिस्सा अनुसंधान एवं विकास पर खर्च करती हैं तथा भारत में पेटेंट/डिजाइन दाखिल करती हैं।
इसमें कहा गया है कि यह नवाचार, आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के राष्ट्रीय लक्ष्य के अनुरूप है।
ईएससी के वैश्विक पहुंच के चेयरमैन संदीप नरूला ने कहा, “कर में कटौती करके भारत कंपनियों को अनुसंधान एवं विकास के लिए प्रोत्साहित करने से तकनीकी प्रगति, बौद्धिक संपदा का सृजन और आयात पर निर्भरता में कमी जैसे लाभ होंगे।''
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