नयी दिल्ली, 26 जनवरी कांग्रेस ने प्रदर्शनकारी किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में कई स्थानों पर हुई हिंसक झड़प तथा लाल किले पर झंडे लहराए जाने को लेकर मंगलवार को कहा कि वह और पूरा देश इस तरह की ‘हिंसक एवं अराजक घटनाओं’ से क्षुब्ध है तथा आंदोलनकारियों को अपने ध्येय को ध्यान में रखना होगा।
पार्टी ने यह मांग फिर दोहराई कि प्रधानमंत्री को अपना ‘राजहट’ छोड़कर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘हिंसा किसी समस्या का हल नहीं है। चोट किसी को भी लगे, नुक़सान हमारे देश का ही होगा। देशहित के लिए कृषि-विरोधी क़ानून वापस लो!’’
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, ‘‘आज दिल्ली में हुई हिंसक व अराजक घटनाओं से कांग्रेस पार्टी व पूरा देश क्षुब्ध है। लोकतंत्र में इस प्रकार की घटनाओं के लिए कोई स्थान नहीं। आंदोलनरत किसान संगठनों द्वारा खुद को इस अस्वीकार्य घटनाक्रम से अलग कर लेने का स्पष्ट वक्तव्य एक सही दिशा में उठाया कदम है।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘आंदोलनकारियों को अपने ध्येय को ध्यान में रखना होगा। अहिंसा और सत्याग्रह ही इस किसान- मजदूर आंदोलन की सबसे बड़ी कामयाबी रही है। हमें पूरी उम्मीद है कि किसान- मजदूर-गरीब का ये गठजोड़ शांतिपूर्ण व अहिंसक आंदोलन के रास्ते पर चल तीनों खेती विरोधी काले कानूनों की वापसी के लिए दृढ़ संकल्प रहेंगे।’’
सुरजेवाला के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी का साफ मानना है कि ‘गण’ और ‘तंत्र’ के बीच पिछले 61 दिनों से जारी टकराव की स्थिति लोकतंत्र के लिए कतई सही नहीं है। संदेश साफ है कि देश का गण यानी जनता, शासनतंत्र से बहुत क्षुब्ध है। ऐसे में मोदी सरकार को भी अहंकार के सिंहासन से उतर किसान और मजदूर की न्याय की गुहार सुननी पड़ेगी।
उन्होंने सवाल किया, ‘‘प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार को ये सोचना पड़ेगा कि 61 दिन से बातचीत का मुखौटा पहन किसानों को दस बार बातचीत के लिए बुलाना, पर न मांग स्वीकारना और न ही ठोस उपाय करना, क्या सही है?’’
सुरजेवाला ने यह भी पूछा, ‘‘क्या देश को भ्रमित करना और किसान को विचलित करना उचित है?क्या 175 किसानों की मृत्यु के बावजूद ख़ुद प्रधानमंत्री द्वारा भी सांत्वना का मरहम तक न लगाना ठीक है? क्या मोदी सरकार द्वारा किसानों के प्रति ‘थकाओ और भगाओ’ की नीति अपनाना देश हित में है?’’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी को ‘राजहठ’ छोड़ ‘राजधर्म’ के मार्ग पर चलना होगा। यही 72वें गणतंत्र दिवस का सही संदेश है। बगैर किसी देरी तीनों खेती विरोधी काले कानून वापस लेने होंगे। यही देश के 62 करोड़ अन्नदाताओं की पुकार भी है और हुंकार भी।’’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने प्रदर्शनकारी किसानों के एक समूह द्वारा लाल किले में अपने संगठन का झंडा फहराने को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए मंगलवार को कहा कि उन्होंने शुरुआत से ही किसान आंदोलन का समर्थन किया था, लेकिन इस ‘अराजकता’ को वह स्वीकार नहीं कर सकते।
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