देश की खबरें | एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामला : मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए हनी बाबू को चार दिन की जमानत
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मुंबई, 16 दिसंबर बंबई उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर हनी बाबू को शहर के एक अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन और चिकित्सकीय जांच करवाने के लिए शुक्रवार को चार दिन की अस्थाई जमानत दी गई।
हनी बाबू बीते लगभग दो साल से नवी मुंबई की तलोजा जेल में बंद हैं। उन्होंने स्वास्थ्य आधार पर अस्थाई जमानत की मांग को लेकर पिछले महीने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
हनी बाबू ने अपनी याचिका में कहा था कि मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने और पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द व ऑस्टियोआर्थराइटिस का इलाज करवाने के लिए उन्हें तीन महीने की जमानत की जरूरत है।
न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायमूर्ति पी डी नाइक की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हनी बाबू को अस्पताल में चार दिन इलाज कराने की अनुमति दे दी।
हनी बाबू के वकील युग चौधरी ने बताया कि पीठ ने निर्देश दिया कि उनके मुवक्किल को सर्जरी और चिकित्सकीय जांच के लिए 20 दिसंबर को अस्पताल ले जाया जाए और 24 दिसंबर को वापस जेल ले आया जाए।
यह मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है, जिसके बारे में पुलिस ने दावा किया कि अगले दिन इससे कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी।
पुणे पुलिस ने दावा किया था कि सम्मलेन को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को स्थानांतरित किए जाने से पहले पुणे पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी।
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