नयी दिल्ली, 10 जुलाई विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के भाव टूटने के बीच देशभर के तेल-तिलहन बाजारों में बीते सप्ताह सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल-तिलहन, सीपीओ, पामोलीन, बिनौला सहित लगभग सभी खाद्य तेलों के दाम में गिरावट आई। बाकी तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित रहे।
बाजार सूत्रों ने बताया कि विदेशों में पिछले सप्ताह के मुकाबले खाद्य तेलों का बाजार काफी टूटा है जो गिरावट का मुख्य कारण है। इस गिरावट की वजह से देश में आयातकों को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है क्योंकि उन्होंने जिस भाव पर सौदे खरीदे थे अब उन सौदों का निपटाना मुश्किल हो गया है क्योंकि इस बीच सीपीओ और सोयाबीन डीगम जैसे खाद्य तेलों के दाम विदेशों में बुरी तरह टूटे हैं। इससे आयातकों के लिए ऊंचे भाव पर आयात किया गया खाद्य तेल आधे से कम भाव पर बेचने की नौबत आ गई है। उन्हें बैंक कर्ज का भुगतान करने की परेशानी आ रही हैं। इसके अलावा आगे के सौदे के लिए बैंक उनको साख पत्र (लेटर आफ क्रेडिट) देने से कतरा रहे हैं।
सूत्रों ने कहा कि सरकार की ओर से खाद्य तेलों के दाम और कम करने की पहल के तहत खाद्य तेल कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की गई जिसमें खाद्य तेल के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में लगभग 15 रुपये प्रति लीटर तक की और कटौती करने और वैश्विक तेल कीमतों में आई गिरावट का लाभ आम उपभोक्ताओं को सुनिश्चित करने के लिए सरकार की ओर से निर्देश दिया गया। इससे पहले भी हुई एक बैठक के बाद एमआरपी में लगभग 10 रुपये की कमी की गई थी। धारा ब्रांड जैसी कंपनियों ने खाद्य तेल कीमतों में कटौती की पहल भी की है। इसके बारे में सूत्रों ने कहा कि जब ‘एमआरपी’ पहले से ही थोक दाम से ही लगभग 50 रुपये प्रति लीटर अधिक था और उसमें 15 रुपये की कटौती कर भी दी जाये तो वैश्विक खाद्य तेल कीमतों में गिरावट का लाभ आम उपभोक्ताओं या तेल उद्योग या आयातकों को कहां से मिला?
सूत्रों ने सरसों का उदाहरण देते हुए बताया कि अधिभार सहित सरसों तेल का थोक दाम दिल्ली में लगभग 134 रुपये लीटर बैठता है। एमआरपी में पहले की गई 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती के बाद सरसों तेल का एमआरपी लगभग 194 रुपये लीटर था। सरकार द्वारा एमआरपी में और 15 रुपये प्रति लीटर की कमी करने को कहने के बाद यह 178-180 रुपये लीटर हो जायेगा। जबकि एमआरपी 155-158 रुपये लीटर से अधिक नहीं होना चाहिये। यही हाल सोयाबीन तेल के साथ भी है।
सूत्रों ने कहा कि जब एमआरपी पहले से 50 रुपये तक अधिक हो और बाद में उसमें 30 रुपये तक की कमी कर भी दी जाये तो वैश्विक तेल कीमतों की गिरावट का लाभ उपभोक्ताओं को कैसे मिलेगा?
सूत्रों ने कहा कि जबतक खाद्य तेलों के थोक मूल्य और खुदरा मूल्य के बीच के अंतर को एक निश्चित सीमा में नहीं बांधा जायेगा और इसके लिए सख्त कानून नहीं बनेगा, इन बैठकों के अपेक्षित परिणाम हासिल नहीं होंगे।
सूत्रों ने कहा कि विदेशों में खाद्य तेलों के भाव टूटने के बीच सोयाबीन, सीपीओ और पामोलीन जैसे खाद्य तेलों के दाम में गिरावट आई है जिसका असर घरेलू तेल-तिलहन कीमतों पर भी हुआ और उनमें भी गिरावट आई।
सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सरसों की आवक काफी कम हो गयी है। बीते शनिवार को मंडियों में सरसों की आवक सबसे कम यानी 1.20-1.50 लाख बोरी के दायरे में रही। आने वाले त्योहारी सीजन में सरसों के संबंध में दिक्कत महसूस की जा सकती है क्योंकि ‘स्टॉक लिमिट’ के भय से किसी ने इसका स्टॉक तैयार नहीं किया। जो कुछ सरसों है, वह किसानों के पास ही है।
सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 190 रुपये की गिरावट के साथ 7,295-7,345 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल समीक्षाधीन सप्ताहांत में 500 रुपये की गिरावट के साथ 14,650 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी क्रमश: 65-65 रुपये घटकर क्रमश: 2,315-2,395 रुपये और 2,355-2,460 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुईं।
सूत्रों ने कहा कि वैश्विक बाजरों में आई भारी गिरावट के मद्देनजर समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज के थोक भाव क्रमश: 150 रुपये और 250 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 6,350-6,400 रुपये और 6,050-6,100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल कीमतों में भी नुकसान रहा। सोयाबीन दिल्ली का थोक भाव 400 रुपये की हानि के साथ 13,700 रुपये, सोयाबीन इंदौर का भाव 600 रुपये टूटकर 13,200 रुपये और सोयाबीन डीगम का भाव 250 रुपये टूटकर 12,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
गिरावट के आम रुख के अनुरूप देशी तेल-तिलहनों के भाव भी अछूते नहीं थे। समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली तिलहन का भाव 55 रुपये टूटकर 6,710-6,835 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पूर्व सप्ताहांत के बंद भाव के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल गुजरात 180 रुपये की गिरावट के साथ 15,530 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ जबकि मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव 25 रुपये की गिरावट के साथ 2,610-2,800 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी बाजारों में तेल कीमतों में जोरदार गिरावट आने के बाद कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव भी 400 रुपये टूटकर 10,900 रुपये क्विंटल, पामोलीन दिल्ली का भाव 400 रुपये टूटकर 12,800 रुपये और पामोलीन कांडला का भाव 550 रुपये टूटकर 11,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में गिरावट के आम रुख के अनुरूप बिनौला तेल का भाव भी 300 रुपये के नुकसान के साथ 13,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वैसे बिनौला में कारोबार लगभग समाप्त हो चला है।
राजेश
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)