नयी दिल्ली, आठ दिसंबर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डीपीसीसी) ने 2015 से वायु प्रदूषण से निपटने के लिए 478 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता अमित गुप्ता की ओर से सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत दायर आवेदन के जवाब में बोर्ड ने बताया कि 2008 में स्थापित ‘ग्रीन फंड’ से वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए कई परियोजनाओं पर अब तक 467.67 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
उसने बताया कि पैसे का इस्तेमाल बैटरी से चलने वाले वाहनों के लिए सब्सिडी देने, ई-रिक्शा, सम-विषम (ऑड-ईवन) अभियान, दिल्ली सचिवालय में बायो-गैस संयंत्र के रखरखाव, ऑनलाइन वायु निगरानी स्टेशनों के संचालन, स्मॉग टॉवर की स्थापना, पर्यावरण मार्शलों का वेतन समेत अन्य में इस्तेमाल किया गया है।
डीपीसीसी ने बताया कि उसने पर्यावरण क्षति हर्जाने से संग्रहित किए गए 10.58 करोड़ रुपये परिवेशी वायु निगरानी स्टेशन की स्थपाना, संचालन व रखरखाव को साथ-साथ शोध व अध्ययन परियोजनाओं, वायु प्रयोगशाला के लिए उपकरणों की खरीद, सरकारी स्कूलों में ‘रीसायकल’ इकाइयों की स्थापना, ध्वनि निगरानी स्टेशनों की स्थापना, वायु प्रदूषण निगरानी और निरीक्षण समिति को मानदेय पर खर्च किए हैं।
गुप्ता की ओर से दायर अन्य आरटीआई आवेदन के जवाब में डीपीसीसी ने कहा कि उसने 2008 में स्थापित ‘द एयर एम्बियंस फंड’ से 12 करोड़ रुपये 2016 से 2019 के बीच तीन चरण में चलाई गई सम-विषम योजना पर खर्च किए हैं।
दिल्ली में हर एक लीटर डीज़ल की बिक्री पर 25 पैसे ‘द एयर एम्बियंस फंड’ में जाते हैं और इसका संग्रह व्यापार व कर विभाग करता है।
मार्च 2008 से अब तक कुल 547 करोड़ रुपये इस कोष में एकत्र किए गए हैं। इसमें से 527 करोड़ रुपये हरित गतिविधियों पर खर्च किए गए हैं।
सरकार ने 2015 तक केवल 59 करोड़ रुपये का इस्तेमाल किया था। पिछले सात वर्षों में, उसने कोष से 468 करोड़ रुपये का उपयोग किया है।
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