देश की खबरें | विस्थापित श्रमिक: राज्यों द्वारा हलफनामे नहीं दाखिल करने पर न्यायालय नाराज
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने कामगारों की मदद के लिये बनाये गये तीन कानून लागू किये जाने के बारे में महाराष्ट्र और दिल्ली सरकार द्वारा हलफनामे दाखिल नहीं करने पर मंगलवार को अपनी नाराजगी व्यक्त की।
नयी दिल्ली, एक सितंबर उच्चतम न्यायालय ने कामगारों की मदद के लिये बनाये गये तीन कानून लागू किये जाने के बारे में महाराष्ट्र और दिल्ली सरकार द्वारा हलफनामे दाखिल नहीं करने पर मंगलवार को अपनी नाराजगी व्यक्त की।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कोविड-19 लॉकडाउन से प्रभावित प्रवासी कामगारो से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘हलफनामे दाखिल नहीं किये जाने से साफ है कि राज्यों की इन कानूनों को लागू करने में दिलचस्पी नहीं है।’’
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पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र और दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रवासी कामगार काम करते हैं।
पीठ ने कहा कि 31 जुलाई के आदेश में शीर्ष अदालत ने राज्यों को तीन कानूनों-अंतर्राज्यीय प्रवासी कामगार (रोजगार का नियमन और सेवा शर्तें) कानून, 1979, निर्माण मजदूर (रोजगार के नियमन और सेवा शर्ते) कानून 1996 और असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा कानून, 2008 पर अमल के बारे में हलफनामे दाखिल करने का स्पष्ट निर्देश दिया था।
पीठ ने कहा, ‘‘हालांकि, कई राज्यों ने अपने जवाब दाखिल कर दिये हैं लेकिन महाराष्ट्र और दिल्ली सरकार ने हमारे 31 जुलाई, 2020 के आदेश का अभी तक अनुपालन नहीं किया है।’’
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘महाराष्ट्र और दिल्ली राज्य में ही सबसे अधिक कामगार आते हैं और यहां काम कर रहे हैं।’’
पीठ ने कहा कि जब न्यायालय राज्यों को हलफनामे दाखिल करने का स्पष्ट निर्देश देता है तो उसकी मंशा यह देखने की है कि ये कानून कैसे काम कर रहे हैं।
महाराष्ट्र और दिल्ली सरकार के वकीलों ने न्यायालय ने इस मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिये और समय देने का अनुरोध किया।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि हम महाराष्ट्र और दिल्ली तथा उन राज्यों को, जिन्होंने हलफनामे दाखिल नहीं किये हैं, को दो सपताह का वक्त दिया जा रहा है। इसके साथ ही पीठ ने इस मामले को दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया।
न्यायालय ने 31 जुलाई को राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को हलफनामे दाखिल करके यह विवरण पेश करने का निर्देश दिया था कि वे कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से अपने गृह स्थान तक पहुंचे प्रवासी कामगारों के बारे में किस तरह से रिकार्ड रख रहे हैं ।
न्यायालय ने कहा था कि रास्तों में फंसे सभी कामगारों को ट्रेन या आवागमन के दूसरे साधनों से 15 दिन के भीतर उनके पैतृक् स्थान पहुंचाने संबंधी नौ जुलाई के आदेश के बावजूद अभी भी महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में श्रमिक फंसे हुये हैं।
अनूप
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