देश की खबरें | शिवसेना में अंतर्कलह, कदम ने परब और सामंत पर लगाया पार्टी को खत्म करने की कोशिश का आरोप

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना के नेता रामदास कदम ने शनिवार को अपने साथी नेताओं तथा मंत्री अनिल परब व उदय सामंत पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ हाथ मिलाकर पार्टी को खत्म करने का आरोप लगाया और कहा कि वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ मुलाकात के बाद अपने भविष्य के कदम के बारे में कोई फैसला लेंगे।

मुंबई, 18 दिसंबर महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना के नेता रामदास कदम ने शनिवार को अपने साथी नेताओं तथा मंत्री अनिल परब व उदय सामंत पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ हाथ मिलाकर पार्टी को खत्म करने का आरोप लगाया और कहा कि वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ मुलाकात के बाद अपने भविष्य के कदम के बारे में कोई फैसला लेंगे।

कदम के इस आरोप से शिवसेना का अंतर्कलह सामने आ गया है।

साल 2014 से 2019 के बीच देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में पर्यावरण मंत्री रहे कदम ने आरोप लगाया कि दोनों मंत्री उन्हें भी राजनीतिक रूप से खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि वह हमेशा ''शिवसैनिक'' बने रहेंगे और पार्टी कभी नहीं छोड़ेंगे।

साल 2019 में राकांपा और कांग्रेस से हाथ मिलाकर राज्य में सरकार बनाने के बाद पहली बार उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी शिवसेना में मतभेद खुलकर सामने आए हैं।

कदम ने यहां संवाददाताओं से बात करते हुए आरोप लगाया कि राज्य के परिवहन मंत्री परब और उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री सामंत राकांपा के साथ साठगांठ कर रत्नागिरी जिले में शिवसेना को खत्म कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ''परब के खिलाफ बोलने का मतलब शिवसेना विरोधी रुख अपनाना नहीं है। परब और सामंत को इसलिये मंत्री बनाया गया था ताकि शिवसेना को मजबूत किया जा सके, न कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को खत्म करने के लिए, जिन्होंने पार्टी को अपना खून-पसीना दिया है।''

कदम ने आरोप लगाया कि कोंकण क्षेत्र शिवसेना का गढ़ है, लेकिन दोनों मंत्री वहां पार्टी के अस्तित्व को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं।

परब रत्नागिरी जिले के प्रभारी मंत्री हैं, जबकि सामंत सिंधुदुर्ग जिले के प्रभारी मंत्री हैं।

कदम को हाल में मुंबई स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद चुनावों के लिए पार्टी द्वारा नामित नहीं किया गया था। कदम ने कहा कि 2019 में जब महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार बनी थी, तो उन्होंने ठाकरे को सुझाव दिया था कि उनके जैसे वरिष्ठ नेता, सुभाष देसाई और दिवाकर रावते कैबिनेट में युवा नेताओं को जगह दे सकते हैं।

उन्होंने कहा, ''रावते और देसाई राजी हो गए थे, लेकिन देसाई का नाम मंत्रिपरिषद की पहली सूची में देखकर मैं हैरान था।''

सवालों के जवाब में कदम ने कहा कि वह ठाकरे से मिलकर यह जानना चाहते हैं क्या वह परब के विचारों और कार्यशैली से सहमत हैं।

कदम ने कहा, ''बैठक के बाद मैं अपने भावी कदम का फैसला करूंगा। मैं शिवसेना कभी नहीं छोड़ूंगा और भले ही मुझे पार्टी से निकाल दिया जाए, मैं शिव सैनिक बना रहूंगा। लेकिन मेरे बच्चे अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं।''

उन्होंने कहा, ''मैं कभी भगवा झंडा नहीं छोड़ूंगा।''

यह पूछे जाने पर कि क्या वह भाजपा में शामिल होंगे क्योंकि उसका प्रतीक भी भगवा है, तो उन्होंने कहा कि दोनों दलों (शिवसेना और भाजपा) के बीच अंतर है और वह कभी भी शिवसेना नहीं छोड़ेंगे।

कदम ने कहा कि वह पिछले दो वर्षों में ठाकरे के निजी आवास 'मातोश्री' नहीं गए हैं।

उन्होंने कहा, ''मैंने पार्टी मामलों के बारे में उद्धवजी को एक विस्तृत पत्र लिखा है। अगर मुझे बैठक के लिए बुलाया जाता है, तो मैं अपनी स्थिति स्पष्ट करूंगा, जिसके बाद मैं अपने भविष्य के बारे में फैसला लूंगा।''

उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के बाद शिवसेना के किसी वरिष्ठ नेता की ओर से यह पहली बगावत है। अतीत में, छगन भुजबल, नारायण राणे और राज ठाकरे जैसे कुछ चर्चित नेता पार्टी छोड़ चुके हैं।

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