देश की खबरें | संकट सुलझाने में केंद्र और मणिपुर सरकार की ‘विफलता’ से निराश हूं: कांग्रेस नेता

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. मणिपुर कांग्रेस विधायक दल के नेता ओकराम इबोबी सिंह ने राज्य में 19 महीने से जारी हिंसा को हल करने में केंद्र और राज्य सरकार की कथित विफलता पर मंगलवार को निराशा व्यक्त की।

इंफाल, 31 दिसंबर मणिपुर कांग्रेस विधायक दल के नेता ओकराम इबोबी सिंह ने राज्य में 19 महीने से जारी हिंसा को हल करने में केंद्र और राज्य सरकार की कथित विफलता पर मंगलवार को निराशा व्यक्त की।

उन्होंने यहां कांग्रेस भवन में संवाददाताओं से कहा कि मणिपुर के संकट पर चर्चा करने और समाधान खोजने के लिए राज्य विधानसभा ही एकमात्र उपयुक्त मंच है।

सिंह ने कहा कि कांग्रेस ने पूर्वोत्तर राज्य को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान के लिए विधानसभा सत्र बुलाने की बार-बार अपील की है, लेकिन अधिकारियों ने अपील पर कोई ध्यान नहीं दिया।

उन्होंने कहा, “मणिपुर के संकट पर चर्चा करने और समाधान खोजने के लिए राज्य विधानसभा ही एकमात्र उचित मंच है। आज वर्ष का अंत हो गया लेकिन राज्यपाल और मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपे जाने के बावजूद विधानसभा नहीं बुलाई गई है।”

सिंह ने राज्य की स्थिति को देखते हुए विधानसभा सत्र की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने दावा किया, “कर्नाटक जैसे कई राज्यों ने सालाना कम से कम चार विधानसभा बैठकें अनिवार्य करने के नियम बनाए हैं। मणिपुर को भी यही तरीका अपनाना चाहिए। हम संकट को हल करने में केंद्र और राज्य सरकार की विफलता से निराश हैं।”

कांग्रेस नेता ने चेतावनी दी कि अगर सरकार जनता की शिकायतों को अनदेखा करती रही तो अशांति की संभावना है।

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, “अगर लोगों का सरकार पर से भरोसा उठ गया और टूटने की कगार पर पहुंच गया तो सुरक्षा बलों को लोगों के गुस्से को नियंत्रित करने में मुश्किल हो सकती है।”

सिंह ने असम राइफल्स के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ अपनी हाल की बातचीत को भी याद किया और मोरेह और चुराचांदपुर जैसे संघर्ष क्षेत्रों से अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को निकालने में उनके प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया।

हालांकि, सिंह ने इन इलाकों में आतंकवादियों द्वारा घरों को नष्ट करने से न रोक पाने के लिए अर्धसैनिक बल की आलोचना की।

उन्होंने कहा, “अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और हिंसा के स्रोत को रोकने पर ध्यान देना चाहिए था।”

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