नयी दिल्ली, आठ जनवरी एथनॉल उत्पादन में मक्का की खपत में वृद्धि और अपर्याप्त घरेलू उत्पादन के बीच ऑल इंडिया पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन (एआईपीबीए) ने सोमवार को मांग की कि सरकार पोल्ट्री की आवश्यकता को पूरा करने के लिए मक्का के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दे।
एआईपीबीए के अध्यक्ष बहादुर अली ने मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय को दिए एक ज्ञापन में कहा कि एथनॉल बनाने वालों की मक्के की बढ़ती जरुरतों ने भी कीमतों को आसमान पर पहुंचा दिया है। यह भारतीय पोल्ट्री किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती है।
उन्होंने कहा, ‘‘देश में मक्के की कीमतें 22-23 रुपये प्रति किलो के आसपास हैं, इसके साथ पोल्ट्री किसान असहनीय लागत से जूझ रहे हैं।’’ उन्होंने आगाह किया कि फरवरी 2024 तक बोझ और बढ़ने की उम्मीद है, जो पोल्ट्री उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
एसोसिएशन ने कहा कि मवेशी चारे और अन्य उद्योगों - दोनों में मक्के की बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार के सामने दो विकल्प हैं। एक या तो मक्के का आयात किया जाये और दूसरा घरेलू उत्पादन बढ़ाया जाये।
एसोसिएशन ने ने कहा, ‘‘हालांकि, घरेलू उत्पादन में अल्पकाल में वृद्धि को असंभव माना जाता है। इसलिए, अन्य देशों से मक्का आयात करना तत्काल मांग को पूरा करने के लिए सबसे व्यवहारिक समाधान दिख रहा है।’’
मक्के पर मौजूदा मूल आयात शुल्क 50 प्रतिशत है।
एथनॉल उत्पादन में मक्का की बढ़ती खपत पर चिंताओं का हवाला देते हुए, एसोसिएशन ने कहा कि भारत का तीन करोड़ 46 लाख टन वार्षिक मक्का उत्पादन पोल्ट्री उद्योग के साथ-साथ देश की खाद्य सुरक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है।
इसमें कहा गया है कि भारतीय मोटा अनाज अनुसंधान संस्थान के अनुमान के अनुसार, पोल्ट्री और पशुधन उद्योग देश के मक्का उत्पादन का 60 प्रतिशत से अधिक का उपभोग करता है।
इस संदर्भ में, 2025-26 तक मक्के से आधा एथनॉल उत्पन्न करने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का ‘पोल्ट्री और पशुधन जैसे क्षेत्रों के लिए कुछ गंभीर प्रभाव हो सकता है।’
एसोसिएशन ने कहा कि मौजूदा मक्का उत्पादन के इतने महत्वपूर्ण हिस्से को अन्यत्र उपयोग करने से आवश्यक कच्चे माल तक उनकी पहुंच प्रभावित हो सकती है, जिससे आने वाले वर्षों में मांग-आपूर्ति में गंभीर अंतर पैदा हो सकता है।
साथ ही, पिछले एक दशक में मक्का उत्पादन की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रही है, जबकि पोल्ट्री उद्योग में 8-9 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
भारत दुनिया में मक्के का छठा सबसे बड़ा उत्पादक है और भारत में इसका उत्पादन गेहूं और चावल के बाद दूसरे स्थान पर है।
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