Delhi Water Crisis: न्यायालय ने हिमाचल को दिए 137 क्यूसेक अतिरिक्त जल छोड़ने के निर्देश

राष्ट्रीय राजधानी में जारी जल संकट के बीच उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को निर्देश दिए कि हिमाचल प्रदेश 137 क्यूसेक अतिरिक्त जल छोड़े और हरियाणा दिल्ली की तरफ पानी के प्रवाह को सुगम बनाए.

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नयी दिल्ली, 6 जून : राष्ट्रीय राजधानी में जारी जल संकट के बीच उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को निर्देश दिए कि हिमाचल प्रदेश 137 क्यूसेक अतिरिक्त जल छोड़े और हरियाणा दिल्ली की तरफ पानी के प्रवाह को सुगम बनाए. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि पानी को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए. न्यायमूर्ति पी.के. मिश्रा और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार उसके पास उपलब्ध 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी दिल्ली के लिए छोड़ने को तैयार है. एक क्यूसेक (घन फुट प्रति सेकंड) प्रति सेकंड 28.317 लीटर तरल प्रवाह के बराबर होता है. पीठ ने कहा, ‘‘क्योंकि हिमाचल प्रदेश को कोई आपत्ति नहीं है और वह उसके पास उपलब्ध अतिरिक्त पानी छोड़ने के लिए तैयार है, इसलिए हम निर्देश देते हैं कि हिमाचल प्रदेश उसके पास उपलब्ध अतिरिक्त पानी में से 137 क्यूसेक पानी छोड़े, ताकि पानी हथिनीकुंड बैराज और फिर वहां से दिल्ली पहुंच सके.’’

मामले की गंभीरता को देखते हुए पीठ ने हिमाचल प्रदेश को निर्देश दिया कि वह हरियाणा को पूर्व सूचना देकर सात जून को पानी छोड़े. इसने कहा है कि ऊपरी यमुना नदी बोर्ड (यूवाईआरबी) हथिनीकुंड में आने वाले अतिरिक्त पानी को मापेगा ताकि इसे वजीराबाद और दिल्ली तक पहुंचाया जा सके. पीठ ने आदेश दिया, ‘‘जब भी हिमाचल प्रदेश पूर्व सूचना के साथ हरियाणा की तरफ अतिरिक्त पानी छोड़ेगा तो हरियाणा अतिरिक्त पानी के प्रावह को हथिनीकुंड और वजीराबाद तक सुगम बनाए रखने में मदद करेगा ताकि यह निर्बाध रूप से दिल्ली तक पहुंचे और दिल्ली के लोगों को पेयजल के लिए पानी उपलब्ध कराया जा सके.’’

इसने कहा, ‘‘सोमवार को इस अदालत के समक्ष एक स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी.’’ न्यायालय ने दिल्ली सरकार से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी को मिलने वाला पानी व्यर्थ न हो. उच्चतम न्यायालय ने कहा कि दिल्ली सरकार और हरियाणा तथा हिमाचल प्रदेश सहित प्रतिवादी सोमवार तक अपना अनुपालन हलफनामा दाखिल करेंगे.

न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 जून की तारीख तय की. शीर्ष अदालत दिल्ली सरकार द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें हरियाणा को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह हिमाचल प्रदेश द्वारा राष्ट्रीय राजधानी को उपलब्ध कराया जाने वाला अतिरिक्त जल छोड़े ताकि वहां जारी जल संकट को कम किया जा सके. इस मामले में तीन जून को सुनवाई करते हुए न्यायालय ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए पांच जून को यूवाईआरबी की एक आपात बैठक बुलाने को कहा था.

यूवाईआरबी का गठन 1995 में किया गया था और इसके मुख्य कार्यों में यमुना नदी के पानी का लाभार्थी राज्यों के बीच आवंटन को नियंत्रित करना और दिल्ली में ओखला बैराज समेत सभी परियोजनाओं की समीक्षा एवं प्रगति पर नजर रखना भी है. इन राज्यों में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) दिल्ली शामिल हैं. यह भी पढ़ें : भर्तियों के लिये मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने दिये निर्देश, कहा- चयन आयोगों को तत्काल भेजें मांग

बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि पांच जून को एक बैठक बुलाई गई थी और दिल्ली में जल संकट से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई. पीठ ने कहा, ‘‘बोर्ड की ओर से दर्ज की गई चर्चाओं से यह स्पष्ट है कि बैठक में भाग लेने वाले सदस्यों/हितधारकों ने इस बात का खंडन या सवाल नहीं उठाये कि दिल्ली में असाधारण गर्मी के हालात हैं जिससे पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है.’’ अदालत ने कहा कि बोर्ड ने दर्ज किया कि हरियाणा भी इसी प्रकार की भीषण गर्मी के हालात से जूझ रहा है परन्तु न्यायालय के समक्ष ऐसा कोई ठोस साक्ष्य नहीं है कि हरियाणा में पेयजल का गंभीर संकट है. पीठ ने कहा कि बोर्ड ने आखिरकार सिफारिश की कि मौजूदा गर्मी के मौसम के दौरान या 30 जून को मानसून के आगमन से पहले पेयजल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए दिल्ली सरकार मानवीय आधार पर 150 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने पर विचार करने के लिए हरियाणा को औपचारिक अनुरोध भेज सकती है.

पीठ ने कहा कि यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि बोर्ड का मानना है कि दिल्ली की पेयजल की मांग को पूरा करने के लिए उसको 150 क्यूसेक अतिरिक्त पानी की आवश्यकता है. इसने कहा, ‘‘दस्तावेज में हिमाचल प्रदेश के पास उपलब्ध अतिरिक्त पानी का ब्योरा दिया गया है जिसके अनुसार मार्च से जून की अवधि के बीच हिमाचल प्रदेश के पास 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी उपलब्ध है.’’ दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा, ‘‘हमने हाथ जोड़कर निवेदन किया था और हिमाचल प्रदेश को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन हरियाणा आपत्ति जता रहा है. बोर्ड ने अंत में कहा कि चूंकि हरियाणा को आपत्ति है, इसलिए आप (दिल्ली) हरियाणा को अनुरोध भेजें. हमने हरियाणा से अनुरोध किया, लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिला.’’

पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) विक्रमजीत बनर्जी से कहा, ‘‘यह एक अस्तित्वपरक (भौगोलिक कारणों के चलते) समस्या है.’’

एएसजी ने बैठक के विवरण का हवाला दिया और कहा कि हरियाणा ने भी यह बात कही है कि वहां भी इसी प्रकार की असाधारण गर्मी के हालात हैं जिसके कारण ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में पानी की अत्यधिक मांग है. पीठ ने हरियाणा की ओर से पेश अधिवक्ता से कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने स्वीकार किया है कि उनके पास अतिरिक्त पानी उपलब्ध है. पीठ ने कहा, ‘‘पानी हिमाचल प्रदेश से आता है हरियाणा से नहीं.’’ इसने यह भी कहा, ‘‘सवाल केवल पानी के प्रवाह का है. कृपया इस मुद्दे पर अड़ियल रवैया न अपनाएं. यह एक गंभीर समस्या है. यदि हम इसका संज्ञान नहीं लेंगे तो यह बिल्कुल भी उचित नहीं होगा.’’ सिंघवी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश ने उदारता दिखाई है, लेकिन हरियाणा ही इनकार कर रहा है. पीठ ने कहा, ‘‘कल को इस बात पर राजनीति नहीं होनी चाहिए कि हिमाचल प्रदेश पानी छोड़ता है और हरियाणा पानी को आने नहीं देता. पानी को लेकर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए.’’ हिमाचल में कांग्रेस और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार हैं जबकि हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. कांग्रेस और आप ‘इंडिया’ के घटक हैं.’’

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