देश की खबरें | दिल्ली दंगे: अदालत ने ‘छेड़छाड़’ की गई क्लिप को लेकर जांच अधिकारी को फटकार लगाई

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी 2020 के दंगों के एक मामले में कथित तौर पर ‘‘छेड़छाड़ किए गए वीडियो’’ का इस्तेमाल करके आरोपी को फंसाने के लिए जांच अधिकारी को फटकार लगाई और पुलिस आयुक्त से इस पर संज्ञान लेने को कहा।

नयी दिल्ली, 14 जनवरी दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी 2020 के दंगों के एक मामले में कथित तौर पर ‘‘छेड़छाड़ किए गए वीडियो’’ का इस्तेमाल करके आरोपी को फंसाने के लिए जांच अधिकारी को फटकार लगाई और पुलिस आयुक्त से इस पर संज्ञान लेने को कहा।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने मामले में पूरी और उचित जांच किए बिना छह शिकायतों को एक साथ जोड़ने के लिए पुलिस अधिकारी को उनके ‘‘गैर-पेशेवर आचरण’’ के लिए फटकार लगाई। अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया।

अदालत ने आठ जनवरी को अपने आदेश में कहा, ‘‘वीडियो क्लिप में दिख रहे वास्तविक अपराधियों को खोजने के बजाय, जांच अधिकारी ने संदीप भाटी को पीड़ित पर हमला करने के आरोप में फंसा दिया और व्हाट्सएप पर प्राप्त वीडियो क्लिप के स्रोत का भी पता नहीं लगाया गया।’’

भाटी पर हत्या के प्रयास, दंगा, चोरी और आगजनी समेत कई अपराधों का आरोप था और करावल नगर पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। अदालत ने कहा कि पीड़ित को 24 फरवरी, 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के शिव विहार में दंगाई भीड़ द्वारा किए गए हमले के दौरान गोली लगी थी।

हालांकि, अदालत ने कहा कि भाटी के खिलाफ सबूत के तौर पर सिर्फ दो वीडियो क्लिप हैं, जिनमें से एक क्लिप में आरोपी को नहीं देखा गया, जबकि दूसरी क्लिप में उसे दूसरों को पीड़ित पर हमला करने से रोकते हुए देखा गया।

अदालत ने कहा, ‘‘जांच अधिकारी ने उस लंबे वीडियो का इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि उसने उस वीडियो को पांच सेकंड के लिए छोटा कर दिया, ताकि दूसरों को पीड़ित पर हमला करने से रोक रहे आरोपी की भूमिका दिखाने वाले हिस्से को छोड़ दिया जाए।’’

अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी ने मामले की ठीक से जांच नहीं की और आरोपी को ‘‘छेड़छाड़’’ किए गए वीडियो के आधार पर झूठा फंसाया गया। इन टिप्पणियों के साथ अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया।

जांच अधिकारी ने इस मामले में छह और शिकायतें भी इस आधार पर जोड़ दी थीं कि दंगों की घटनाओं में वही भीड़ शामिल थी, लेकिन शिकायतकर्ताओं की गवाही के अलावा कथित घटनाओं को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं था।

न्यायाधीश ने जांच अधिकारी को इन सभी शिकायतों की उचित जांच करने और पूरी जांच के आधार पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के अपने कर्तव्य में लापरवाही के लिए फटकार लगाई।

अदालत ने कहा, ‘‘जांच अधिकारी के गैर कानूनी और गैर-पेशेवर आचरण के आधार पर इस मामले में इन छह शिकायतों के बारे में कोई भी निष्कर्ष देना, उन्हें बिना पूरी और उचित जांच के इस मामले में शामिल करना, इन छह शिकायतकर्ताओं के साथ अन्याय होगा।’’

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं इस मामले को पुलिस आयुक्त को भेजना उचित समझता हूं, ताकि उपरोक्त टिप्पणियों की पृष्ठभूमि में जांच अधिकारी के आचरण का आकलन किया जा सके और उचित कदम उठाए जा सकें।’’

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