देश की खबरें | दिल्ली दंगे : अदालत ने दो आरोपियों को हत्या के प्रयास से मुक्त किया
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. यहां की स्थानीय अदालत ने उत्तर पूर्व दिल्ली में हुए दंगे के दो आरोपियों को हत्या का प्रयास करने के अपराध से मुक्त करते हुए रूसी कृति ‘‘अपराध एवं दण्ड’’ को उद्धृत करते हुए टिप्पणी की, ‘‘सौ खरगोश मिलाकर आप घोड़ा नहीं बना सकते और सौ संदेह साक्ष्य नहीं बन सकते।’’
नयी दिल्ली, दो मार्च यहां की स्थानीय अदालत ने उत्तर पूर्व दिल्ली में हुए दंगे के दो आरोपियों को हत्या का प्रयास करने के अपराध से मुक्त करते हुए रूसी कृति ‘‘अपराध एवं दण्ड’’ को उद्धृत करते हुए टिप्पणी की, ‘‘सौ खरगोश मिलाकर आप घोड़ा नहीं बना सकते और सौ संदेह साक्ष्य नहीं बन सकते।’’
अदालत ने सवाल किया कि कैसे उनके खिलाफ हत्या का प्रयास का आरोप लगाया जा सकता है जब पीड़ित पुलिस जांच से अनुपस्थित है और कभी पुलिस के पास नहीं आया।
अदालत ने कहा कि पीड़ित ने गोली चलाने के बारे में अथवा भीड़ या दंगाइयों के बारे में कोई बयान नहीं दर्ज कराया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने इमरान और बाबू को भारतीय दंड संहिता की धारा-307 (हत्या का प्रयास) और शस्त्र कानून के अभियोग से मुक्त करते हुए कहा, ‘‘यह मामला ऐसा है , जहां कौन कहेगा कि किसने किसपर गोली चलाई और किसके द्वारा और कहा।’’
यह मामला वेलकम इलाके में राहुल नाम के व्यक्ति पर कथित तौर पर गोली चलाने के सिलसिले में दर्ज किया गया था।
अदालत ने कहा, हालांकि दोनों आरोपियों के खिलाफ गैर कानूनी तरीके से जमा होने एवं दंगा करने के आधार पर मामला चलाया जा सकता है। इसके साथ ही अदालत ने मामले को मजिस्ट्रेट की अदालत को हस्तांतरित करते हुए कहा कि मामले विशेषतौर पर सत्र न्यायालय में सुनने योग्य नहीं है।
अदालत ने सोमवार को दिए फैसले में कहा, ‘‘फौजदारी न्याय प्रणाली कहती है कि आरोपी व्यक्ति को अभ्यारोपित करने के लिए उसके खिलाफ कुछ सामग्री होनी चाहिए। पूर्वाग्रह सबूत का स्थान नहीं ले सकता। आरोप पत्र में धारा-307 या शस्त्र कानून के तहत मामला चलाने के लिए कोई सामग्री नहीं है।’’
अदालत ने कहा, ‘‘(फ्योदोर) दोस्तोएवस्की ‘अपराध एवं दण्ड’ में कहते हैं‘ सौ खरगोशों को मिलाकर आप घोड़ा नहीं बना सकते हैं और सौ संदेहों को साक्ष्य नहीं बना सकते। इसलिए दोनों आरोपियों को धारा-307 और शस्त्र अधिनियम के आरोप से मुक्त किया जाता है।’’
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