दिल्ली सरकार की फीडबैक इकाई ने ‘राजनीतिक खुफिया जानकारी’ एकत्र की: सीबीआई
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा गठित ‘फीडबैक यूनिट’ (एफबीयू) ने कथित तौर पर “राजनीतिक खुफिया जानकारी” एकत्र की.
नयी दिल्ली, 8 फरवरी : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया कि भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा गठित ‘फीडबैक यूनिट’ (एफबीयू) ने कथित तौर पर “राजनीतिक खुफिया जानकारी” एकत्र की.सीबीआई ने इस मामले में उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की सिफारिश की है. सीबीआई ने कहा कि आप सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) के अधिकार क्षेत्र में आने वाले विभिन्न विभागों और स्वायत्त निकायों, संस्थानों और संस्थाओं के कामकाज के बारे में प्रासंगिक जानकारी और कार्रवाई योग्य प्रतिक्रिया एकत्र करने और “ट्रैप केस” के लिए 2015 में एफबीयू की स्थापना का प्रस्ताव दिया था. उसने कहा कि इकाई ने गोपनीय सेवा व्यय के लिए एक करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ 2016 में काम करना शुरू किया.
एजेंसी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2015 में एक कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन कोई एजेंडा नोट प्रसारित नहीं किया गया था. उसने आरोप लगाया कि एफबीयू में नियुक्तियों के लिए उपराज्यपाल से कोई मंजूरी नहीं ली गई थी. सीबीआई ने अपनी शुरुआती जांच रिपोर्ट में कहा, कि फीडबैक इकाई ने उसे सौंपी गई जानकारी एकत्र करने के अलावा राजनीतिक खुफिया/विविध गोपनीय जानकारियों को भी एकत्र किया. सीबीआई ने दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग के एक संदर्भ पर प्रारंभिक जांच दर्ज की. सतर्कता विभाग ने एफबीयू में अनियमितताओं का पता लगाया था. यह भी पढ़ें : विपक्ष ने अडाणी समूह से जुड़े आरोपों की जेपीसी से या न्यायिक जांच कराने की लोकसभा में मांग की
एजेंसी ने कहा, प्रथम दृष्टया “दोषी लोक सेवकों” द्वारा नियमों, दिशानिर्देशों और परिपत्रों का जानबूझकर उल्लंघन किया गया था.
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया, “किए गए उल्लंघनों की प्रकृति स्वाभाविक रूप से बेईमानी वाली है और इस तरह की सामग्री संबंधित लोक सेवक उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, और तत्कालीन सचिव (सतर्कता) सुकेश कुमार जैन द्वारा बेईमान इरादे से आधिकारिक पद के दुरुपयोग का खुलासा करती है.” सीबीआई के अनुसार, एफबीयू द्वारा तैयार की गई 60 प्रतिशत रिपोर्टें सतर्कता और भ्रष्टाचार के मामलों से संबंधित थीं, जबकि “राजनीतिक खुफिया जानकारी” और अन्य मुद्दों की हिस्सेदारी लगभग 40 प्रतिशत की थी.
इसने आरोप लगाया कि संबंधित लोक सेवकों द्वारा एफबीयू का दुरूपयोग उस उद्देश्य के अलावा किसी अन्य उद्देश्य के लिए किया गया जिसके लिए इसे स्पष्ट रूप से बनाया गया था. सीबीआई ने आरोप लगाया, “आप के लिए या उसके संयोजक अरविंद केजरीवाल के लिए राजनीतिक खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के उद्देश्य से एफबीयू का इस हद तक उपयोग करने की उचित तौर पर व्याख्या की जा सकती है और यह मूल्यवान जानकारी या आर्थिक लाभ प्राप्त करने सरीखी है क्योंकि अन्यथा ऐसी जानकारी को हासिल करने के लिये अनिवार्य रूप से रुपये खर्च करने पड़ते.” सीबीआई ने कहा कि एफबीयू कुछ “गुप्त उद्देश्य” के लिए काम कर रहा था जो जीएनसीटीडी के हित में नहीं था लेकिन “आम आदमी पार्टी और मनीष सिसोदिया के निजी हित” में था.