नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर दिल्ली की एक अदालत ने धनशोधन के एक मामले में रियल एस्टेट की कंपनी सुपरटेक के अध्यक्ष एवं प्रवर्तक आर के अरोड़ा को ‘वैधानिक जमानत’ देने से इनकार कर दिया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंद्र कुमार जांगला ने अरोड़ा का आवेदन खारिज कर दिया जिन्होंने दलील दी थी कि उन्हें जमानत दे दी जानी चाहिए क्योंकि केंद्रीय जांच एजेंसी ने उनके विरूद्ध ‘अधूरा आरोपपत्र’ दाखिल किया है।
न्यायाधीश जांगला ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अरोड़ा के खिलाफ जांच पूरी कर ली है।
अदालत ने 14 अक्टूबर को अपने आदेश में कहा, ‘‘ उपरोक्त विमर्श से यह स्पष्ट हो जाता है कि अभियोजन पक्ष ने जांच पूरी होने के बाद आवेदक राम किशोर अरोड़ा समेत शिकायत में नामजद आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की है।’’
न्यायाधीश जांगला ने कहा कि अदालत उसके समक्ष मौजूद पर्याप्त सबूत को ध्यान में रखते हुए 26 सितंबर के आदेश में ही कथित अपराध को लेकर संज्ञान ले चुकी है।
अदालत ने कहा, ‘‘ संज्ञान लेने के समय इस अदालत द्वारा जारी किया गया आदेश अपने आप ही बताता है कि शिकायत में उल्लेखित आरोपियों के सिलसिले में की गयी जांच पूरी है। सबूतों की पर्याप्तता को ध्यान में रखकर ही (अपराध किये जाने का) संज्ञान लिया गया। सबूतों पर गौर करने के बाद इस बात की कोई आशंका नहीं रह जाती है कि जांच...... अधूरी है।’’
न्यायाधीश जांगला ने कहा कि आरोपी ने यह दावा करते हुए आवेदन दिया कि ईडी ने ‘इस मामले में वैधानिक जमानत पाने के उसके कानूनी अधिकार का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए अधूरा आरोपपत्र दाखिल किया और जांच एजेंसी किसी आरोपी की गिरफ्तारी के दिन से जांच पूरी करने के लिए कानून द्वारा तय वैधानिक अवधि में आरोपपत्र दाखिल करने में विफल रही।
आवेदन में दावा किया गया है कि आरोपपत्र, जांच पूरी होने के बाद ही दाखिल किया जाता है लेकिन इस मामले में ईडी की जांच अभी चल ही रही है।
ईडी के विशेष सरकारी वकील एन के मट्टा और वकील मोहम्मद फैजान खान ने यह दावा करते हुए इस आवेदन का विरोध किया कि इस मामले में वैसे तो जांच चल रही है लेकिन अरोड़ा के विरूद्ध अन्वेषण पूरा हो गया है।
सुपरटेक ग्रुप, उसके निदेशकों और प्रवर्तकों के विरूद्ध धनशोधन का यह मामला दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पुलिस द्वारा दर्ज की गयी प्राथमिकियों पर आधारित है। प्रवर्तन निदेशालय कथित आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी , विश्वासघात और जालसाजी को लेकर सुपरटेक लिमिटेड और उसकी ग्रुप कंपनियों के विरूद्ध दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की पुलिसों की आर्थिक अपराध शाखाओं द्वारा दर्ज 26 प्राथमिकियों की जांच कर रहा है।
आरोपपत्र के अनुसार कंपनी और उसके निदेशकों ने उनकी रियल एस्टेट परियोजनाओं में बुक कराये गये फ्लैटों के लिए ग्राहकों से पैसे लेकर उन्हें ठगने की ‘आपराधिक साजिश’ रची। कंपनी इन घर खरीददारों को निर्धारित समय पर मकान का कब्जा देने में विफल रही तथा उसने आम लोगों को ठगा।
अरोड़ा को तीन दौर की पूछताछ के बाद 27 जून को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया गया था।
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