नयी दिल्ली, 14 अप्रैल : दिल्ली की एक अदालत ने 1991 में यहां कनॉट प्लेस में एक इमारत में निवेश के नाम पर एक निजी कंपनी और उसके प्रवर्तकों के साथ कथित तौर पर धोखाधड़ी और जालसाजी करने के मामले में रियल इस्टेट कारोबारी गोपाल अंसल के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया है. मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट यशदीप चहल ने धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश जैसे कथित अपराधों के लिए अंसल के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है. हालांकि, अदालत ने कनॉट प्लेस में स्टेट्समैन हाउस नाम की इमारत का निर्माण करने वाली आरोपी कंपनी अंसल प्रॉपर्टीज के निदेशक सुशील अंसल को मामले में यह कहते हुए आरोप मुक्त कर दिया कि रिकॉर्ड में उनके खिलाफ उपलब्ध सामग्री ‘अपर्याप्त’ है. चार अप्रैल को पारित आदेश में अदालत ने कहा, “सिवाय इस बयान के कि सभी निदेशकों की संलिप्तता के बिना धोखाधड़ी संभव नहीं थी, उन पर (सुशील अंसल पर) मुकदमा चलाने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है.”
अदालत ने गोपाल अंसल के खिलाफ आधिकारिक रूप से आरोप तय करने के लिए मामले की अगली सुनवाई के वास्ते एक जून की तारीख तय कर दी. शिकायत के मुताबिक, शिकायकर्ता कंपनी सचदेवा एंड सन्स इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड ने 1991 में स्टेट्समैन हाउस में निवेश किया था, जिसका निर्माण अंसल प्रॉपर्टीज कृष्ण बख्शी के माध्यम से कर रही थी और , कृष्ण बख्शी उस समय आरोपी कंपनी में कार्यरत था और सह-आरोपी गोपाल अंसल का परिचित था. बख्शी अब इस दुनिया में नहीं है. शिकायत के अनुसार, हालांकि, बाद में शिकायतकर्ता को पता चला कि रसीदें केवल बख्शी के नाम पर जारी की गई थीं और वो भी परियोजना में शामिल महज एक फ्लैट के भुगतान के लिए. शिकायत में आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने शिकायतकर्ता से पैसे ऐंठने के लिए धोखा देने की साजिश रची और उस राशि को पूरी तरह से बख्शी के नाम पर एक फ्लैट बुक करने में इस्तेमाल किया. यह भी पढ़ें : WhatsApp New Feature: कंपनी अब ‘अकाउंट प्रोटेक्ट’ फीचर का उपयोग कर दोबारा जांच करेगा कि क्या यह वास्तव में आप ही हैं
अदालत ने कहा कि जांच के दौरान पता चला कि बख्शी ने जनवरी 1992 में अंसल प्रॉपर्टीज के साथ स्टेट्समैन हाउस में एक फ्लैट बुक किया था. उसने कहा कि जांच से यह भी खुलासा हुआ कि स्टेट्समैन हाउस में एक फ्लैट को बुक करने के लिए शिकायकर्ता से प्राप्त पूरी राशि का इस्तेमाल बख्शी के लिए व्यक्तिगत रूप से एक फ्लैट की बुकिंग करने के लिए किया गया था. अदालत ने कहा कि जांच के दौरान यह भी पाया गया कि धोखाधड़ी के लिए आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज तैयार किए. उसने कहा कि बख्शी और गोपाल अंसल एक-दूसरे को जानते थे. अदालत ने यह भी कहा कि बख्शी को अंसल प्रॉपर्टीज में विशेष सुविधाएं हासिल थीं, खासकर उक्त संपत्ति के बुकिंग आवेदन फॉर्म के मद्देनजर, जिसमें किसी भी भुगतान योजना या भुगतान के समय का उल्लेख किए बिना बुकिंग की गई थी, जबकि अन्य खरीदारों के लिए ऐसा करना अनिवार्य था.