देश की खबरें | आतंकी हमले बढ़ने पर जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव में देरी जायज नहीं ठहराई जा सकती: उमर

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने में विलंब को न्यायोचित ठहराने का आधार आतंकी हमलों में बढ़ोतरी को नहीं बनाया जा सकता क्योंकि ये चुनाव वर्ष 1996 में तब भी कराए गए थे जब आतंकवाद अपने चरम पर था।

सांबा/जम्मू, 21 जुलाई नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने रविवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने में विलंब को न्यायोचित ठहराने का आधार आतंकी हमलों में बढ़ोतरी को नहीं बनाया जा सकता क्योंकि ये चुनाव वर्ष 1996 में तब भी कराए गए थे जब आतंकवाद अपने चरम पर था।

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग कह रहे हैं कि स्थिति खराब हो गई है इसलिए चुनाव नहीं होना चाहिए। आपको क्या हो गया है? क्या हम इतने कमजोर हैं या हालात इतने खराब हो गए हैं कि चुनाव होने के आसार नहीं हैं? हमने 1996 में चुनाव कराए थे और आपको यह बात माननी होगी कि उस समय और आज के हालात में जमीन-आसमान का अंतर है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग चुनाव (जम्मू-कश्मीर में) नहीं कराना चाहते हैं उन्हें बताना चाहिए कि हम बंदूकधारी ताकतों के सामने झुक रहे हैं और अपनी हार स्वीकार कर रहे हैं, इसके अलावा अपनी सेनाओं के बलिदान को नजरअंदाज कर रहे हैं। आप हमारे दुश्मनों से कह दीजिए कि हम बिना लड़े ही हथियार डाल देंगे।’’

उमर ने कहा, ‘‘अगर आप ऐसी ताकतों के सामने झुकना चाहते हैं तो (विधानसभा) चुनाव न कराएं। हमें कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि यह चुनाव उच्चतम न्यायालय के आदेश पर हो रहा है, जिसने 30 सितंबर की समय सीमा तय की है।’’

उमर ने सांबा जिले के गुरहा सलाथिया में एक सार्वजनिक रैली के मौके पर संवाददाताओं से कहा,‘‘ आपने उच्चतम न्यायालय में कहा कि स्थिति विधानसभा चुनाव कराने के लिए अनुकूल नहीं है और हम उन ताकतों के सामने झुक रहे हैं जिन्होंने पिछले (तीन) सालों में हमारे 55 बहादुर जवानों को शहीद कर दिया। यदि आप उनके बलिदानों को नजरअंदाज और बर्बाद करना चाहते हैं, तो हम चुपचाप फैसले को सहन कर लेंगे क्योंकि हम और कुछ नहीं कर सकते।’’

उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश में ऐसी ताकतें हैं जो दोनों देशों के बीच दोस्ताना रिश्ते नहीं चाहतीं।

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