देश की खबरें | मानहानि मामला: आतिशी, केजरीवाल की याचिका पर न्यायालय का नोटिस; निचली अदालत में कार्यवाही पर रोक
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मानहानि के एक मामले को रद्द करने से इनकार किये जाने संबंधी उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी एक याचिका पर सोमवार को दिल्ली सरकार तथा भाजपा नेता राजीव बब्बर से जवाब मांगा।
नयी दिल्ली, 30 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मानहानि के एक मामले को रद्द करने से इनकार किये जाने संबंधी उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी एक याचिका पर सोमवार को दिल्ली सरकार तथा भाजपा नेता राजीव बब्बर से जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने इस विषय में नोटिस जारी किया और निचली अदालत में कार्यवाही पर रोक लगा दी।
आतिशी और केजरीवाल की ओर से शीर्ष अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने दलील दी कि मानहानि मामला भाजपा की दिल्ली इकाई के अधिकृत प्रतिनिधि के रूप में बब्बर द्वारा दायर किया गया है।
उन्होंने दलील दी, ‘‘ना तो (केंद्रीय) भाजपा, ना ही इसकी दिल्ली इकाई ने कोई शिकायत दायर की। बब्बर वह व्यक्ति नहीं हैं जिसकी मैंने कथित तौर पर मानहानि की है।’’
बब्बर की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ वकील सोनिया माथुर ने दलील दी कि भाजपा नेता ने पार्टी की ओर से मामला दायर किया है।
आतिशी और केजरीवाल, दोनों ने दिल्ली उच्च न्यायालय के दो सितंबर के आदेश को चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने मतदाताओं के नाम कथित तौर पर हटाये जाने संबंधी उनकी टिप्पणियों को लेकर उनके (आतिशी, केजरीवाल) और आम आदमी पार्टी (आप) के अन्य नेताओं के खिलाफ कार्यवाही रद्द करने से इनकार कर दिया था।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि इन आरोपों से भाजपा की प्रतिष्ठा प्रथम दृष्टया कमतर हुई है।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा था कि ये आरोप प्रथम दृष्टया, मानहानिकारक हैं जो भाजपा को बदनाम करने और अनुचित राजनीतिक लाभ हासिल करने के इरादे से लगाए गए थे।
उच्च न्यायालय ने आतिशी, केजरीवाल और आप के दो अन्य नेताओं - पूर्व राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार गुप्ता और पार्टी नेता मनोज कुमार - की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें निचली अदालत में लंबित मानहानि की कार्यवाही को चुनौती दी गई थी।
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