देश की खबरें | दिल्ली में कोविड-19 के मामलों में कमी, लेकिन निषिद्ध क्षेत्रों की संख्या अब भी 40,000 से अधिक

नयी दिल्ली, 29 जनवरी दिल्ली में पिछले एक सप्ताह में कोविड-19 के मामलों में कमी आई है। यहां 22 जनवरी को कोविड-19 के 11,000 से अधिक मामले आए थे, हालांकि निषिद्ध क्षेत्रों की संख्या अब भी 40,000 से अधिक बनी हुई है। आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी मिली।

यदि किसी आवासीय परिसर या इलाके में संक्रमण के कम से कम तीन मामले सामने आते हैं, तो संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए अधिकारी उसे निषिद्ध क्षेत्र घोषित कर देते हैं। महामारी की तीसरी लहर के दौरान दिल्ली में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि वायरस के बेहद संक्रामक ओमीक्रोन स्वरूप के कारण हुई है।

कई इलाकों में बड़ी संख्या में परिवारों में संक्रमण की पुष्टि हुई थी। हालांकि, चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है, चूंकि संक्रमण एक ही समय में हुआ था, इसलिए समग्र रूप से लोग जल्दी स्वस्थ होंगे और इसके फैलने की आशंका भी कम रहेगी क्योंकि ज्यादातर लोग पृथक-वास में हैं और अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी काफी कम है।

दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग द्वारा साझा किए गए आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी में निषिद्ध क्षेत्रों की संख्या शुक्रवार को 41,095 थी, जो बृहस्पतिवार के 42,388 से कम रही। 22 जनवरी को निषिद्ध क्षेत्रों की संख्या 43,457 थी जबकि कोविड-19 के 11,486 मामले आए थे। पिछले एक सप्ताह में संक्रमण के मामलों में कमी आई है और शुक्रवार को 4000 से अधिक मामले आए थे। हालांकि, निषिद्ध क्षेत्रों की संख्या अब भी 40,000 से अधिक है।

अगर किसी आवासीय परिसर या इलाके को निषिद्ध क्षेत्र की श्रेणी में रखा जाता है, तो उस क्षेत्र में लोगों की आवाजाही पर प्रतिबंध रहता है। जिलाधिकारियों ने पहले कहा था कि संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लघु निषिद्ध क्षेत्र बनाने पर जोर दिया जा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि गृह पृथक-वास के दिशानिर्देश में हाल के दिनों में बदलाव किया गया है, लेकिन निषिद्ध क्षेत्र के नियम अब भी वही हैं।

दिल्ली में जिला प्रशासन के अधिकारियों के सूत्रों ने कहा कि निषिद्ध क्षेत्रों के प्रबंधन की नीति अब भी वही है, जिसका अर्थ है कि संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए निषिद्ध क्षेत्र को 14 दिनों की अवधि के बाद ही निषिद्धमुक्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसलिए, संक्रमण के मामलों में कमी तो देखी जा सकती है, लेकिन निर्धारित समय बीतने के बाद ही निषिद्ध क्षेत्रों की संख्या में कमी की उम्मीद की जा सकती है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार, ‘‘क्षेत्र को निषिद्धमुक्त करने की नीति नहीं बदली है, इसका मतलब है कि एक क्षेत्र को 14 दिनों के बाद ही निषिद्धमुक्त घोषित किया जा सकता है। अगर किसी घर में तीन लोग संक्रमित हैं और इसे लघु निषिद्ध क्षेत्र घोषित किया गया है तो अंतिम रोगी के ठीक होने के दिन से 14 दिन बाद इसे निषिद्धमुक्त घोषित कर दिया जाएगा। इसी कारण निषिद्ध क्षेत्र की संख्या अधिक है।’’

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