नयी दिल्ली, 16 जून उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल तेलंगाना में नौ साल की बच्ची से दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या करने के दोषी एक व्यक्ति को मृत्युदंड देने से मना करते हुए कहा कि कानून को पूर्व तिथि से लागू नहीं किया जा सकता है।
यह घटना संसद में पॉक्सो कानून में संशोधन के दो महीने पहले हुई थी । संशोधन के जरिए नृशंस अपराध के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया था ।
तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद उच्च न्यायालय के 12 नवंबर के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था । उच्च न्यायालय ने दोषी के मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया था।
पिछले साल 18-19 जुलाई को अपराध के बाद निचली अदालत ने रिकार्ड 48 दिन में सुनवाई करते हुए युवक पोलेपाका प्रवीण उर्फ पवन को मृत्युदंड की सजा दी थी ।
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न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने कहा कि वह राज्य सरकार की यह दलील नहीं समझ पा रही है कि कानून को पूर्व तिथि से लागू कर मृत्युदंड देने से समाज में कैसे संदेश जाएगा।
पीठ ने कहा, ‘‘किसी कानून को पूर्व तिथि से किस तरह लागू किया जा सकता है। अंतिम सांस तक उसे जेल में रखने की सजा से भी समाज में संदेश जाएगा और ऐसा नहीं है कि सिर्फ मृत्युदंड से ही समाज में सही संदेश जाएगा। ’’
पीठ ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि उच्च न्यायालय ने अंतिम सांस तक आजीवन कारावास की सजा देकर उचित फैसला किया। संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत इस अदालत को निचली अदालत द्वारा सुनाए गए मृत्युदंड को फिर से बहाल करने के वास्ते दखल नहीं देना चाहिए।’’
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