ताजा खबरें | लोकसभा में मणिपुर के मुद्दे पर गतिरोध कायम, कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित
Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. लोकसभा में मणिपुर के मुद्दे पर शुक्रवार को भी गतिरोध बरकरार रहा और सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर जल्द चर्चा की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों के शोर - शराबे के कारण सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही मिनट बाद दोपहर बारह बजे तक स्थगित कर दी गई।
नयी दिल्ली , 28 जुलाई लोकसभा में मणिपुर के मुद्दे पर शुक्रवार को भी गतिरोध बरकरार रहा और सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर जल्द चर्चा की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों के शोर - शराबे के कारण सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ ही मिनट बाद दोपहर बारह बजे तक स्थगित कर दी गई।
कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल के तहत विधि एवं न्याय मंत्रालय से संबधित पूरक प्रश्न पूछने के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सांसद ए एम आरिफ का नाम पुकारा । इसी दौरान विपक्षी सदस्य अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की मांग करने लगे और मणिपुर का मुद्दा उठाने लगे।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि 10 मई 1978 को तत्कालीन सरकार के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था और उस पर उसी दिन चर्चा शुरू हो गई थी।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा , ‘‘ नियम के अनुसार 10 दिन का समय होता है। आप (बिरला) जब भी निर्णय लेंगे , हम तैयार हैं। ’’
लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्षी सदस्यों से कहा , ‘‘ प्रश्नकाल सबके लिए महत्वपूर्ण समय होता है। यह प्रश्नकाल आपका है। इससे सरकार की जवाबदेही तय होती है ... सदन नियम - कानून से चलता है। ’’
शोर - शराबा नहीं थमने पर उन्होंने कार्यवाही शुरू होने के दो मिनट के भीतर ही बैठक दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘ इंडिया ’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर में जातीय हिंसा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित रही है।
कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के बीच बुधवार को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था , जिस पर सदन में चर्चा के लिए मंजूरी दे दी गई थी। उस दिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा था कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करने के बाद इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तिथि तय करेंगे।
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