देश की खबरें | हिरासत में मौत मामला : संजीव भट्ट की याचिका पर गुजरात सरकार को उच्च न्यायालय का नोटिस
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट की उस याचिका पर गुजरात सरकार से मंगलवार को जवाब मांगा, जिसमें 1990 के हिरासत में मौत मामले में उन्हें दोषी करार देने और उम्रकैद की सजा सुनाने के फैसले को चुनौती दी गई है।
नयी दिल्ली, 27 अगस्त उच्चतम न्यायालय ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट की उस याचिका पर गुजरात सरकार से मंगलवार को जवाब मांगा, जिसमें 1990 के हिरासत में मौत मामले में उन्हें दोषी करार देने और उम्रकैद की सजा सुनाने के फैसले को चुनौती दी गई है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस का चार सप्ताह में जवाब दिया जाए।’’
पीठ ने याचिका को मामले में लंबित अन्य अर्जियों के साथ सूचीबद्ध कर दिया।
भट्ट ने उनकी अपील खारिज करने के गुजरात उच्च न्यायालय के नौ जनवरी, 2024 के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया है। उच्च न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत भट्ट और सह आरोपी प्रवीण सिंह जाला की सजा को बरकरार रखा था।
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया था, जिसमें पांच अन्य आरोपियों की सजा बढ़ाने की मांग की गई थी, जिन्हें हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया था, लेकिन आईपीसी की धारा 323 और 506 के तहत दोषी ठहराया गया था।
भट्ट और जाला अभी सलाखों के पीछे हैं। वहीं, अदालत ने जेल से रिहा पांच अन्य आरोपियों के जमानत बांड रद्द कर दिए हैं।
खंड पीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘‘हमने आईपीसी की धारा 302 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए संबंधित आरोपी व्यक्तियों को दोषी ठहराते समय अधीनस्थ अदालत द्वारा दिए गए तर्क का भी अध्ययन किया है।’’
उसने कहा, ‘‘रिकॉर्ड पर आधारित साक्ष्यों को देखते हुए हमारी राय है कि अधीनस्थ अदालत का धारा 323 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए (पांच) आरोपियों को दोषी ठहराने का निर्णय सही है।’’
भट्ट और जाला को 20 जून, 2019 को जामनगर की सत्र अदालत ने हत्या के आरोप में दोषी करार दिया था।
तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भट्ट ने 30 अक्टूबर, 1990 को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए निकाली जा रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की 'रथ यात्रा' को रोके जाने के खिलाफ आहूत 'बंद' के बाद जामजोधपुर शहर में भड़के सांप्रदायिक दंगे के दौरान लगभग 150 लोगों को हिरासत में लिया था। .
हिरासत में लिए गए व्यक्तियों में से एक, प्रभुदास वैश्नानी की रिहाई के बाद अस्पताल में मौत हो गई थी।
वैश्नानी के भाई ने भट्ट और छह अन्य पुलिस अधिकारियों पर अपने भाई को हिरासत में प्रताड़ित करने और उसकी मौत का कारण बनने का आरोप लगाया था।
भट्ट को पांच सितंबर, 2018 को एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें उन पर मादक पदार्थ रखने के लिए एक व्यक्ति को फंसाने का आरोप है। मामले में मुकदमा जारी है।
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