देश की खबरें | हिरासत में मौत मामला: अतिरिक्त सबूत संबंधी संजीव भट्ट की याचिका पर 10 जनवरी को सुनवाई
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह गुजरात कैडर के बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की याचिका पर 10 जनवरी को सुनवाई करेगा। इस याचिका में भट्ट ने गुजरात उच्च न्यायालय में दायर उनकी एक अपील में अतिरिक्त साक्ष्य पेश करने के लिए अनुमति देने का अनुरोध किया है।
नयी दिल्ली, तीन जनवरी उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह गुजरात कैडर के बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की याचिका पर 10 जनवरी को सुनवाई करेगा। इस याचिका में भट्ट ने गुजरात उच्च न्यायालय में दायर उनकी एक अपील में अतिरिक्त साक्ष्य पेश करने के लिए अनुमति देने का अनुरोध किया है।
भट्ट ने हिरासत में मौत के 1990 के एक मामले में अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपील दायर की है।
न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की पीठ ने भट्ट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत से शुरुआत में पूछा कि क्या वह न्यायमूर्ति शाह को मामले की सुनवाई से अलग किए जाने की याचिका को लेकर गंभीर हैं।
कामत ने कहा कि मंशा न्यायाधीश को 'पूर्वाग्रह' से जोड़ने की नहीं थी बल्कि 'पूर्वाग्रह' की आशंका जताना थी। उन्होंने कहा कि विशेष अनुमति याचिका के कुछ विषय ऐसे हैं जिन पर न्यायमूर्ति शाह ने पहले भी एक अवसर पर फैसला दिया था जब वह उच्च न्यायालय में न्यायाधीश थे।
न्यायमूर्ति शाह ने कहा, "आपकी आपत्ति खारिज की जाती है। केवल कुछ याचिका में कोई आदेश पारित किया गया है, इसका इस विवाद से कोई लेना-देना नहीं है... हम विचार करेंगे।"
कामत ने कहा कि वह पूर्वाग्रह की आशंका प्रदर्शित कर सकते हैं और उन्होंने अपनी दलील स्पष्ट करने का अनुरोध किया।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह 10 जनवरी को मामले की सुनवाई करेगा।
भट्ट ने हिरासत में मौत के 30 साल पुराने मामले में उम्रकैद की सजा को निलंबित करने की अपनी याचिका अगस्त 2022 में, सर्वोच्च अदालत से वापस ले ली थी।
उच्च न्यायालय ने पहले भट्ट की सजा को निलंबित करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उनके मन में अदालतों के प्रति बहुत सम्मान नहीं है और उन्होंने जानबूझकर कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की कोशिश की। उन्हें मामले में जून 2019 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
यह मामला प्रभुदास वैष्णनी की हिरासत में मौत से संबंधित है।
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