युगांडा ने एक सख्त एलजीबीटी विरोधी कानून को मंजूरी दे दी है. अफ्रीकी देश के इस कानून की हर तरफ निंदा हो रही है. यूएन और अमेरिका ने इस कानून की आलोचना की है. इस कानून के मुताबिक कई मामलों में मौत की सजा हो सकती है.युगांडा इन दिनों दो कानूनों को लेकर चर्चा के केंद्र में है. ये कानून हैं समलैंगिक संबंध बनाने पर मौत की सजा और मानव अंगों की चोरी रोकने के लिए आजीवन कारावास की सजा. युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी ने मंगलवार को मानव अंगों और मानव शरीर की मांसपेशियों की चोरी को रोकने के लिए नए कानून पर हस्ताक्षर किए हैं.
देश की स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि एक ऐसे देश में जहां महिलाओं को फर्जी सर्जरी के लिए बेचा जाता है, स्थानीय मीडिया ने उन महिलाओं के मामलों की सूचना दी है जिन्हें मध्य पूर्व में घरेलू कामगार के रूप में रखा गया था और फिर उनका ऑपरेशन किया गया था. ऐसी महिलाओं के गुर्दे निकाले गए और आसपास के मानव तस्करी के गिरोहों को बेच दिए गए.
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चर्चा में युगांडा के दो कानून
एक ट्वीट में स्वास्थ्य मंत्री जेन असिंग ने मानव तस्करी को रोकने के लिए युगांडा मानव अंग दान और प्रत्यारोपण विधेयक 2023 पर हस्ताक्षर करने के लिए राष्ट्रपति मुसेवेनी को धन्यवाद दिया. उन्होंने आगे कहा कि युगांडा में अंग प्रत्यारोपण का एक नया अध्याय खुल गया है.
इस कानून पर हस्ताक्षर करने से पहले अफ्रीकी देश ने समलैंगिक संबंधों पर मौत की सजा के कानून को मंजूरी दी थी. इस कानून की दुनियाभर में आलोचना हो रही है. अमेरिका ने भी इस समलैंगिकों के लिए बनाए गए इस सख्त कानून की आलोचना की है.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, "युगांडा में समलैंगिक संबंधों पर बैन और मौत की सजा का प्रावधान करना मानवाधिकारों का दुखद उल्लंघन है. यह युगांडा के लोगों के योग्य नहीं है. यह पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक विकास को जोखिम में डालता है."
राष्ट्रपति बाइडेन ने युगांडा से इस कानून को निरस्त करने की मांग की है. उन्होंने कहा, "मैं दुनियाभर के लोगों और युगांडा के कई लोगों के साथ इस कानून को फौरन निरस्त करने की मांग करता हूं."
युगांडा के नए एंटी एलजीबीटी कानून के मुताबिक सीरियल अपराधियों को मौत की सजा हो सकती है. साथ ही समलैंगिक यौन संबंध के जरिए एचआईवी जैसी बीमारी फैलने पर भी सख्त कार्रवाई हो सकती है. समलैंगिकता को बढ़ावा देने वालों के लिए कानून में 20 साल की सजा का प्रावधान किया गया है.
इस कानून पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद देश के एलजीबीटी कार्यकर्ताओं और वकीलों के समूह ने राजधानी में संवैधानिक अदालत में इसे चुनौती दी है.
नए कानून की आलोचना
युगांडा के एलजीबीटी कार्यकर्ता सैम गनाफा के मुताबिक कानून बनने से पहले ही इसके प्रभाव महसूस किए जा रहे थे. उन्होंने कहा अस्पताल समलैंगिकों को इलाज से दूर कर देंगे क्योंकि उन्हें सरकार द्वारा परेशान किए जाने का डर रहेगा.
मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि नया कानून युगांडा में एलजीबीटी लोगों के खिलाफ भेदभाव, घृणा और पूर्वाग्रह को और बढ़ाएगा.
अप्रैल में राष्ट्रपति ने इस बिल को नेशनल असेंबली को वापस भेज दिया था और इसमें सुधार की सिफारिश की थी. मुसेवेनी ने सांसदों से "गंभीर समलैंगिकता" को मृत्युदंड देने वाले प्रावधान को हटाने की सलाह दी थी, सांसदों ने उसे खारिज कर दिया, जिसका मतलब है कि सीरियल अपराधियों को मौत की सजा दी जा सकती है, हालांकि युगांडा ने कई वर्षों से मृत्युदंड नहीं दिया है.
हो सकती है मौत की सजा
संशोधित संस्करण में कहा गया है कि समलैंगिक के रूप में पहचान करना अपराध नहीं होगा, लेकिन "समलैंगिकता के कृत्यों में शामिल होना" आजीवन कारावास के साथ दंडनीय अपराध होगा.
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने मंगलवार को कहा कि वह युगांडा के राष्ट्रपति द्वारा दुनिया के सबसे कठोर समलैंगिक विरोधी कानून पर हस्ताक्षर करने के बाद "बहुत चिंतित" हैं.
गुटेरेश के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने पत्रकारों से कहा, "महासचिव हमेशा से मानवाधिकारों को लेकर बहुत स्पष्ट रहे हैं और इसे बनाए रखने के लिए सभी सदस्य देशों से आग्रह करते रहे हैं."
डुजारिक ने कहा, "वह फिर से सभी देशों से समान-सेक्स संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने की अपील करते हैं."
एए/सीके (एपी, एएफपी, डीपीए)