नयी दिल्ली, 14 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को निर्वाचन आयोग और अन्य से उस याचिका पर जवाब मांगा जिसमें आरोप लगाया गया है कि आयोग ने 2015 में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मतदाता सूची से 46 लाख नामों को स्वत: हटा दिया था।
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने पूर्व में कहा था कि उसे इस मुद्दे पर दायर जनहित याचिका (पीआईएल) में मांगी गई राहत देने का कोई कारण नहीं नजर आता। उच्च न्यायालय के अप्रैल के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका शीर्ष अदालत में प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की एक पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई।
इस मामले पर सुनवाई के लिए सहमति जताते हुए पीठ ने कहा, “नोटिस जारी करें।”
पीठ ने निर्वाचन आयोग के अलावा केंद्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश तथा दोनों राज्यों के संबंधित राज्य निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा है।
इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख छह हफ्ते बाद की रखी गई है।
हैदराबाद निवासी श्रीनिवास कोडाली द्वारा शीर्ष अदालत में दायर याचिका में दावा किया गया है कि मतदाता सूची को ‘दुरुस्त’ करने के प्रयास में निर्वाचन आयोग ने 2015 में स्वत: संज्ञान लेते हुए आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मतदाता सूची से 46 लाख नामों को हटा दिया था और मतदाता फोटो पहचान-पत्र (ईपीआईसी) को आधार से जोड़ा था।
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