देश की खबरें | अदालत ने भ्रष्टाचार मामले में जांच के आदेश के खिलाफ मेनका की याचिका पर सीबीआई से जवाब मांगा
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भाजपा सांसद मेनका गांधी की उस याचिका पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जवाब मांगा जिसमें उन्होंने उनके और दो अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामला बंद करने की जांच एजेन्सी की रिपोर्ट अस्वीकार करते हुये इसमें आगे जांच करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है।
नयी दिल्ली, 20 नवम्बर दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भाजपा सांसद मेनका गांधी की उस याचिका पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जवाब मांगा जिसमें उन्होंने उनके और दो अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक मामला बंद करने की जांच एजेन्सी की रिपोर्ट अस्वीकार करते हुये इसमें आगे जांच करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी है।
न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने सीबीआई को नोटिस जारी करते हुए मेनका गांधी की याचिका पर जांच एजेन्सी से जवाब मांगा है। न्यायाधीश ने साथ ही विशेष अदालत के गत चार फरवरी के आदेश के उस हिस्से पर रोक लगा दी जिसमें जांच एजेंसी को मेनका गांधी के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी देने वाले प्राधिकार के सामने दस्तावेज पेश करने का निर्देश दिया गया है।
भाजपा नेता और दो अन्य व्यक्तियों के खिलाफ वर्ष 2006 में दर्ज भ्रष्टाचार मामले के अनुसार, उन्होंने फर्जी तरीके से एक ट्रस्ट को अनुदान के रूप में 50 लाख रुपये की मंजूरी दी थी।
सीबीआई ने सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय को बताया कि मामला बंद करने की रिपोर्ट दाखिल करने पर विशेष अदालत के पास तीन ही विकल्प होते हैं- उसे स्वीकार करे, खारिज करे और आगे की जांच का आदेश दे या मंजूरी के लिए प्राधिकारी के समक्ष सामग्री रखने का आदेश दे।
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सीबीआई के वकील ने कहा कि विशेष अदालत आगे की जांच करने और मंजूरी प्राधिकार के समक्ष सामग्री रखने का आदेश नहीं दे सकती। उन्होंने कहा कि एजेंसी को एक तरह से ‘‘आरोप पत्र दाखिल करने के लिए मजबूर किया गया।’’
एजेंसी ने उच्च न्यायालय को बताया कि विशेष अदालत ने आगे की जांच के लिए कोई मापदंड तय नहीं किया।
सीबीआई के वकील ने उच्च न्यायालय को सुझाव दिया कि विशेष अदालत की टिप्पणियों को खारिज कर दिया जाए और मामले को उसे वापस भेज दिया जाए।
गांधी के वकील ने उच्च न्यायालय को बताया कि यह दूसरी बार है जब सीबीआई ने मामला बंद करने की रिपोर्ट दायर की है और एजेंसी ने कहा है कि उसके पास कोई अभियोजन साक्ष्य नहीं है।
हालांकि, विशेष अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर दिया और अभियोजन की मंजूरी के लिए मंजूरी देने वाले प्राधिकार के समक्ष उसके पास उपलब्ध सामग्री रखने का निर्देश दिया।
उन्होंने उच्च न्यायालय को यह भी बताया कि विशेष अदालत के निर्देश के बाद, सीबीआई ने मंजूरी देने वाले प्राधिकार के समक्ष कुछ सामग्री रखी है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद, उच्च न्यायालय ने विशेष अदालत के आदेश के उस हिस्से पर रोक लगा दी जिसमें जांच एजेंसी को प्राधिकार के सामने दस्तावेज पेश करने और मंजूरी लेने का निर्देश दिया गया है। अदालत ने साथ ही गांधी की अर्जी पर आगे की सुनवायी के लिए आठ फरवरी 2021 की तिथि तय की।
सीबीआई की विशेष अदालत ने चार फरवरी के अपने आदेश में कहा था कि प्रथम दृष्टया उसकी राय है कि एक लोक सेवक द्वारा आपराधिक साजिश और आपराधिक कदाचार किया गया और जांच एजेंसी को मामले की आगे जांच करने का निर्देश दिया था।
सीबीआई ने पहली बार 2008 में इस मामले में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी और विशेष अदालत ने इसे खारिज कर दिया था और आगे की जांच का आदेश दिया था।
इसके बाद, एजेंसी ने फिर से मामला बंद करने की रिपोर्ट दायर की जिसे विशेष अदालत ने इस साल फरवरी में खारिज कर दिया था।
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