देश की खबरें | न्यायालय ने बिना मुहर लगे समझौते को अप्रवर्तनीय और अमान्य बताने वाले फैसले को खारिज किया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय की सात-सदस्यीय संविधान पीठ ने बुधवार को फैसला सुनाया कि किसी समझौते पर मुहर न लगने या उचित मुहर नहीं लगने का दस्तावेज की वैधता से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि इस कमी को दूर किया जा सकता है।

नयी दिल्ली, 13 दिसंबर उच्चतम न्यायालय की सात-सदस्यीय संविधान पीठ ने बुधवार को फैसला सुनाया कि किसी समझौते पर मुहर न लगने या उचित मुहर नहीं लगने का दस्तावेज की वैधता से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि इस कमी को दूर किया जा सकता है।

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने एक सर्वसम्मत निर्णय में अपने ही उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि यदि अनुबंध करने वाले पक्षों के बीच विवादों को सुलझाने के लिए मध्यस्थता उपबंध वाले किसी समझौते पर मुहर नहीं लगी है तो वह अमान्य और अप्रवर्तनीय है।

पीठ ने कहा, ‘‘जिन समझौतों पर मुहर नहीं लगी है, वे अमान्य नहीं होते। किसी समझौते पर मुहर न होने की कमी को दूर किया जा सकता है।’’

संविधान पीठ में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं।

प्रधान न्यायाधीश ने अपने और पांच अन्य न्यायाधीशों की ओर से फैसला लिखा। न्यायमूर्ति खन्ना ने एक अलग, किंतु सर्वसम्मत फैसला लिखा।

शीर्ष अदालत ने पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के अपने पहले के उस आदेश की पुन: समीक्षा पर अपना फैसला 12 अक्टूबर को सुरक्षित रख लिया था, जिसमें कहा गया था कि बिना मुहर लगे मध्यस्थता समझौते कानून के तहत लागू करने योग्य नहीं हैं।

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