देश की खबरें | न्यायालय का 12 वीं के छात्रों के मूल्यांकन के लिए सीबीएसई, सीआईएससीई की व्यवस्था में हस्तक्षेप से इनकार
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने 12वीं कक्षा के छात्रों के मूल्यांकन के लिए सीबीएसई और सीआईएससीई द्वारा अपनाई गई आकलन योजना में हस्तक्षेप करने से मंगलवार को इनकार कर दिया। कोविड-19 महामारी के कारण दोनों बोर्डों की 12 वीं कक्षा की परीक्षा रद्द कर दी गई है।
नयी दिल्ली, 22 जून उच्चतम न्यायालय ने 12वीं कक्षा के छात्रों के मूल्यांकन के लिए सीबीएसई और सीआईएससीई द्वारा अपनाई गई आकलन योजना में हस्तक्षेप करने से मंगलवार को इनकार कर दिया। कोविड-19 महामारी के कारण दोनों बोर्डों की 12 वीं कक्षा की परीक्षा रद्द कर दी गई है।
शीर्ष अदालत ने अभिभावकों के एक संघ की आपत्ति खारिज कर दी और कहा कि आकलन योजना के विभिन्न पहलुओं के बारे में कोई दूसरा उपाय संभव नहीं है।
न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की विशेष पीठ ने कहा, ‘‘हम दोनों बोर्डों (सीबीएसई और सीआईएससीई) द्वारा लाई गई योजना स्वीकार करते हैं।
पीठ ने, व्यक्तिगत तौर पर अदालत की मदद कर रहे और केंद्र की ओर से पेश हुए अटार्नी जनरल (महान्यायवादी) के.के. वेणुगोपाल की इस दलील का भी उल्लेख किया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को यह निर्देश जारी करेगा कि सभी बोर्डों--केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई), काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकट एग्जामिनेशंस (सीआईएससीई) और राज्य बोर्डों--द्वारा नतीजों की घोषणा के बाद दाखिले लिये जाए।
न्यायालय ने सभी हस्तक्षेपकर्ताओं-- उत्तर प्रदेश पैरेंट्स एसोसिएशन और सेकेंड कंपार्टमेंट एवं प्राइवेट छात्रों--की मुख्य आपत्तियों का निस्तारण करते हुए कहा कि जो योजना लाई गई है उस पर महज इस आशंका के साथ संदेह नहीं किया जा सकता कि सीबीएसई स्कूलों द्वारा अपने छात्रों के पक्ष में अंकों में हेरफेर की जाएगी।
पीठ ने वेणुगोपाल की दलीलें सुनने के बाद कहा कि यदि छात्रों को आंतरिक आकलन का विकल्प दिया गया है, तो योजना के मुताबिक उनके नतीजे 31 जुलाई तक घोषित होंगे और कम अंक आने पर इसके बाद वे इसमें सुधार का विकल्प चुन सकते हैं।
पीठ ने कहा कि बोर्डों ने 12 कक्षा की परीक्षाएं रद्द करने का समझदारी भरा फैसला व्यापक जनहित में लिया गया है।
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