देश की खबरें | न्यायालय ने भाभी से बलात्कार के आरोपी की जमानत याचिका खारिज की
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने अपनी भाभी से बार-बार बलात्कार करने के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी है। आरोप है कि अभियुक्त ने महिला के पति और श्वसुर की कथित मिलीभगत से उसके साथ बलात्कार किया।
नयी दिल्ली, एक जून उच्चतम न्यायालय ने अपनी भाभी से बार-बार बलात्कार करने के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी है। आरोप है कि अभियुक्त ने महिला के पति और श्वसुर की कथित मिलीभगत से उसके साथ बलात्कार किया।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की पीठ ने आरोपी को जमानत याचिका खारिज करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश में हस्क्षेप करने से इंकार कर दिया।
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इस मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान आरोपी के वकील ने पीठ को सूचित किया कि आरोपी नौ महीने से हिरासत में है। उसने कहा कि पुलिस ने पिछले साल दिसंबर में इस मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया है।
पीठ ने 26 मई के अपने आदेश में कहा, ‘‘इस मामले के सारे तथ्यों के आलोक में हम उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते।’’
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हालांकि, पीठ ने इस मामले में पीड़ित की गवाही दर्ज होने के बाद उसे फिर से अपनी जमानत के लिये आवेदन दायर करने की छूट प्रदान की है।
पीठ ने अपने आदेश में इस तथ्य का जिक्र किया है कि याचिकाकर्ता पर महिला से बार-बार बलात्कार करने के अपराध से संबंधित धारा सहित भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के साथ ही बच्चों का यौन अपराध से संरक्षण कानून के तहत भी मामला दर्ज है।
पुलिस के अनुसार महिला ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि उसके देवर ने फरवरी और मई 2019 के दौरान उससे बार-बार बलात्कार किया।
उच्च न्यायालय ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुये इस साल फरवरी में इस तथ्य का जिक्र किया कि महिला का आरोप है कि उसने इसकी जानकारी अपने पति और श्वसुर को दी लेकिन दोनों ने इससे आंख मूंद लीं।
इस मामले में पुलिस ने पिछले साल जुलाई में प्राथमिकी दर्ज की थी।
आरोपी के वकील ने उच्च न्यायालय में दावा किया था कि उसके मुवक्किल के खिलाफ आरोप भरोसेमंद नहीं है और इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराने में भी देरी हुयी है।
वकील ने यह भी दलील दी थी कि महिला के पति और श्वसुर को पहले ही जमानत मिल चुकी है और इसलिए उसके मुवक्किल को भी जमानत दी जानी चाहिए।
उच्च न्यायालय ने महिला के स्कूल रिकार्ड का जिक्र करते हुये अपने आदेश में कहा था कि उसके साथ पहली बार जबरन यौनाचार के समय उसकी आयु 18 साल से कम थी।
अनूप
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