देश की खबरें | मादक पदार्थ रखने के आरोपी को अदालत ने जमानत देने से इनकार किया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कथित मादक पदार्थ तस्कर को जमानत देने से इनकार कर दिया, क्योंकि उसे प्रतिबंधित मादक पदार्थों की व्यावसायिक मात्रा के साथ पकड़ा गया था।

बेंगलुरु, तीन सितंबर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कथित मादक पदार्थ तस्कर को जमानत देने से इनकार कर दिया, क्योंकि उसे प्रतिबंधित मादक पदार्थों की व्यावसायिक मात्रा के साथ पकड़ा गया था।

उसके खिलाफ इस साल मई में स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

न्यायमूर्ति के नटराजन की पीठ ने कहा कि बेंगलुरु के चामराजपेट के रहने वाले 27 वर्षीय राजेश ए. इस मामले के दो अन्य आरोपियों को मिली जमानत को लेकर समानता का दावा नहीं कर सकते, क्योंकि इनकी (राजेश की) तरह वे लोग प्रतिबंधित मादक पदार्थ की वाणिज्यिक मात्रा के साथ नहीं पकड़े गए थे।

कुमारस्वामी लेआउट पुलिस ने एक पिज्जा आउटलेट पर गोदाम प्रभारी के रूप में काम करने वाले राजेश को 22 मई को एक अन्य आरोपी के साथ गिरफ्तार किया था।

यह आरोप लगाया गया था कि वह कॉलेज के छात्रों, आईटी/ बीटी कर्मचारियों और अन्य लोगों को मादक पदार्थ बेच रहा था। दोनों के पास से पांच किलोग्राम गांजा, 260 ग्राम हशीश का तेल और 20 एलएसडी स्ट्रिप्स बरामद किए गए थे।

उनके बयानों के आधार पर दो अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार किये गये दो अन्य आरोपियों में से एक को जमानत पर रिहा कर दिया गया, क्योंकि गिरफ्तारी के समय वह अस्पताल में था और उसके पास कोई मादक पदार्थ नहीं था।

राजेश को कथित तौर पर मादक पदार्थों की आपूर्ति करने वाले, दूसरे व्यक्ति को भी जमानत दे दी गई, क्योंकि पकड़े जाने के वक्त उसके पास केवल 130 ग्राम गांजा और 30 ग्राम हशीश का तेल था।

अदालत ने 22 अगस्त को पारित फैसले में राजेश को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘याचिकाकर्ता को आरोपी नंबर-एक के साथ रंगे हाथों पकड़ा गया था। याचिकाकर्ता के पास 0.91 ग्राम एलएसडी स्ट्रिप्स मिला, जो वाणिज्यिक मात्रा का 19 गुना और पांच किलोग्राम गांजा, ...230 ग्राम हशीश तेल बरामद किया गया था। यह दर्शाता है कि उनके पास मादक पदार्थों की वाणिज्यिक मात्रा है।’’

जमानत याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा, ‘‘जांच अभी जारी है। आरोपी नंबर-चार अब भी फरार है। इस पहलू को देखते हुए मेरा मानना ​​है कि याचिकाकर्ता जांच लंबित रहने तक जमानत का हकदार नहीं है।’’

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