देश की खबरें | मामले के भौतिक पहलुओं पर विचार किये बिना जमानत अर्जी पर फैसला नहीं कर सकती अदालत: न्यायालय
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि किसी जमानत अर्जी पर फैसला करने वाली अदालत अपने फैसले को मामले के भौतिक पहलुओं से पूरी तरह अलग नहीं कर सकती जिसमें आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप और दोषी पाए जाने पर सजा को लेकर सख्ती शामिल है। न्यायालय ने कहा कि अदालत को न्यायसंगत तरीके से अपने विवेक का प्रयोग करना होगा।
नयी दिल्ली, 11 जनवरी उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि किसी जमानत अर्जी पर फैसला करने वाली अदालत अपने फैसले को मामले के भौतिक पहलुओं से पूरी तरह अलग नहीं कर सकती जिसमें आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप और दोषी पाए जाने पर सजा को लेकर सख्ती शामिल है। न्यायालय ने कहा कि अदालत को न्यायसंगत तरीके से अपने विवेक का प्रयोग करना होगा।
शीर्ष अदालत ने राजस्थान उच्च न्यायालय के एक आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की। उच्च न्यायालय ने दोनों पैरों की 54 प्रतिशत स्थायी विकलांगता से जूझ रहे एक व्यक्ति की हत्या से संबंधित मामले में आरोपी को जमानत दी थी।
न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने मामले के भौतिक पहलुओं पर विचार नहीं करते हुए आरोपी को जमानत दे दी।
पीठ ने कहा, ‘‘अंतत: अदालत को एक तरफ आरोपी द्वारा किये गये कथित अपराध के संबंध में जमानत की अर्जी पर विचार करते हुए न्यायसंगत तरीके से तथा कानून के तय सिद्धांतों के अनुरूप अपने विवेक का इस्तेमाल करना होता है और दूसरी तरफ मामले में कार्यवाही की शुचिता सुनिश्चत करनी होती है।’’
शीर्ष अदालत ने मृतक के बेटे की अपील पर फैसला सुनाया जिसने आरोपी को जमानत देने के मई 2020 के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी।
दिसंबर 2019 में मामले में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार आरोपी ने एक बस स्टैंड पर पीड़ित पर हमला किया और उसकी मृत्यु हो गयी।
याचिकाकर्ता के वकील ने शीर्ष अदालत से कहा कि पीड़ित को 2015 में राजस्थान के एक गांव का उप सरपंच चुना गया था और आरोपी का परिवार उसे फरवरी 2020 में होने वाले सरपंच के चुनाव में लड़ने से रोकने की कोशिश कर रहा था।
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी के खिलाफ आरोपों की गंभीरता को देखते हुए यह आरोपी को जमानत देने का उचित मामला नहीं है।
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