देश की खबरें | अदालत परिवार के सदस्य को मानसिक रोग से पीड़ित व्यक्ति का संरक्षक नियुक्त कर सकती है: उच्च न्यायालय
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि कानूनी प्रावधान नहीं होने के बावजूद अदालत परिवार के किसी सदस्य को मानसिक विकार से पीड़ित व्यक्ति का कानूनी संरक्षक नियुक्ति कर सकती है।
मुंबई, 10 अक्टूबर बंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि कानूनी प्रावधान नहीं होने के बावजूद अदालत परिवार के किसी सदस्य को मानसिक विकार से पीड़ित व्यक्ति का कानूनी संरक्षक नियुक्ति कर सकती है।
न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति फिरदोश पूनीवाला की खंडपीठ ने छह अक्टूबर के एक आदेश में यह टिप्पणी की। इस आदेश में उच्च न्यायालय ने अल्जाइमर रोग से पीड़ित एक महिला की 35 वर्षीय बेटी को उनका कानूनी संरक्षक नियुक्त कर दिया।
यह आदेश मंगलवार को उपलब्ध हुआ है और इत्तेफाक से आज विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस भी है।
अदालत ने रेखांकित किया कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल कानून या हिंदू अप्राप्तवयता (अवयस्कता) संरक्षकता अधिनियम 1956 दुर्भाग्य से मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित किसी वृद्ध व्यक्ति के बच्चे या भाई-बहन को कानूनी संरक्षक के रूप में नियुक्त करने का प्रावधान नहीं करता है।
उसमें कहा गया है कि कानूनी प्रावधान में कमी "इस अदालत के लिए ऐसी बाधा नहीं होनी चाहिए कि वह राहत देने से कतराए।"
पीठ ने कहा कि एक अदालत "बड़े संरक्षक" की तरह कार्य कर सकती है और ऐसे मामलों में आश्रित व्यक्ति के सर्वोत्तम हित में उचित निर्णय ले सकती है।
महिला ने अपनी याचिका में कहा कि उसकी विधवा मां अल्जाइमर रोग से पीड़ित है और अपना खयाल रखने में असमर्थ हैं। याचिकाकर्ता ने खुद को उनका कानूनी संरक्षक नियुक्त करने का आग्रह किया था।
न्यायाधीशों ने याचिकाकर्ता को अपनी मां की चल और अचल संपत्तियों का प्रबंधन करने की भी इजाजत दे दी।
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