नयी दिल्ली, 21 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को यूनिटेक समूह के नए प्रबंधन बोर्ड को व्यावहारिक नजरिया अपनाने और सुरक्षा एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (एआरसी) के साथ बकाया दावों पर विवाद को बातचीत के जरिए हल करने करने को कहा।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि सुरक्षा एआरसी के प्रबंधन को भी अपना नजरिया बदलना होगा, और पर्याप्त कटौती करनी होगी, वर्ना यदि यह मामला दिवाला और ऋण शोधन अक्षमता संहिता के तहत चला गया तो उन्हें कुछ नहीं मिलेगा।
पीठ ने कहा, ‘‘जिस तरह से सुरक्षा एआरसी के दावों पर विवाद का समाधान नहीं हो रहा है, उससे हम संतुष्ट नहीं हैं। एआरसी के प्रबंधन को पर्याप्त कटौती करने के लिए तैयार रहना चाहिए। हमें खुशी होगा यदि यूनिटेक बोर्ड भी विवाद को हल करने के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाएगा।’’
न्यायालय ने दोनों पक्षों को शनिवार से सुबह 10 बजे से शाम पांच बजे तक चर्चा करने और विवाद को सुलझाने की कोशिश करने को कहा।
पीठ ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 27 अक्टूबर को होगी।
शीर्ष अदालत यूनिटेक के नए बोर्ड की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें रुकी हुई परियोजनाओं के निर्माण के लिए परियोजना प्रबंधन सलाहकार (पीएमसी) की नियुक्ति की अनुमति मांगी गई थी।
सुरक्षा एआरसी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पराग त्रिपाठी ने कहा कि दोनों पक्षों ने सिर्फ एक घंटे पांच मिनट के लिए एक बैठक की, जिसमें कुछ भी हल नहीं हुआ और विवाद को सुलझाने के लिए यूनिटेक प्रबंधन ने कोई कोशिश नहीं की।
पीठ ने कहा कि दोनों पक्षों को एक साथ बैठकर समाधान निकालना होगा।
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