देश की खबरें | अदालत ने पुलिस से गर्भपात कराने की इच्छुक नाबालिग की पहचान उजागर करने के लिए दबाव नहीं डालने को कहा
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पालघर पुलिस को निर्देश दिया कि वह स्त्री रोग विशेषज्ञ को उस नाबालिग लड़की की पहचान उजागर करने के लिए मजबूर न करे, जो गर्भपात कराना चाहती है।
मुंबई, सात मई बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पालघर पुलिस को निर्देश दिया कि वह स्त्री रोग विशेषज्ञ को उस नाबालिग लड़की की पहचान उजागर करने के लिए मजबूर न करे, जो गर्भपात कराना चाहती है।
लड़की 14 सप्ताह की गर्भवती है।
न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की खंडपीठ ने लड़की को गर्भपात कराने की अनुमति भी दी।
स्त्री रोग विशेषज्ञ ने अदालत में याचिका दायर कर पुलिस को 16 वर्षीय लड़की की पहचान उजागर करने के लिए मजबूर नहीं करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
याचिका के अनुसार, लड़की और उसकी मां याचिकाकर्ता के पास गर्भपात के लिए पहुंची थी। लड़की ने दावा किया कि वह सहमति से रिश्ते में थी।
याचिका के मुताबिक, लड़की नाबालिग थी इसलिए डॉक्टर ने उसके गर्भवती होने की सूचना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत पुलिस को दी।
डॉक्टर ने पुलिस को यह भी बताया कि लड़की और उसकी मां अपना नाम या कोई अन्य पहचान उजागर नहीं करना चाहतीं। हालांकि, पुलिस ने लड़की की पहचान जानने के लिए क्लिनिक का दौरा किया और कहा कि डॉक्टर को लड़की और उसकी मां को शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस के पास भेजना चाहिए था।
डॉक्टर ने अपनी याचिका में उच्चतम न्यायालय के 2022 के आदेश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि नाबालिग लड़की की पहचान का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं है।
इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 26 जून की तारीख तय की गई है।
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